भारत की संसद ने भारी विरोध के बीच G RAM G Bill को दोनों सदनों में मंजूरी दे दी है, जिससे देश के ग्रामीण रोजगार व आजीविका के प्रमुख विधेयक में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। विपक्षी नेता राहुल गांधी ने इस कानून पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है और इसे anti-village और anti-state (गांव विरोधी और राज्य विरोधी) बताते हुए केंद्र सरकार की नीतियों पर हमला बोला है। यह नया विधेयक पुराने MGNREGA (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act) को बदलकर पेश किया गया है।
अब इसे ‘‘Viksit Bharat Guarantee for Rozgar and Ajeevika Mission (Gramin) Bill, 2025’’ के नाम से जाना जाने लगा है, जिसे आम तौर पर G RAM G Bill कहा जा रहा है। इस विधेयक को पारित कर दिया गया है, लेकिन विपक्ष ने इसे ग्रामीण कल्याण के खिलाफ बताया है और बड़े पैमाने पर विरोध किया है।
G RAM G Bill क्या है और संसद में पारित कैसे हुआ?
G RAM G Bill का पूरा नाम ‘‘Viksit Bharat–Guarantee for Rozgar and Ajeevika Mission (Gramin) Bill, 2025’’ है, जिसे कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संसद में पेश किया। यह बिल 16 दिसंबर 2025 को लोक सभा में पेश किया गया और 18–19 दिसंबर 2025 को लोक सभा तथा राज्य सभा दोनों में पारित कर दिया गया। यह विधेयक भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और आजीविका को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लाया गया है और इसके तहत एक साल में ग्रामीण घरों को 125 दिनों तक रोजगार की गारंटी देने का प्रावधान है। यह संख्या मौजूदा MGNREGA के 100 दिनों से बढ़ाई गई है।
सरकार का दावा है कि यह नया G RAM G Bill ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार को और अधिक संरचित तथा व्यवस्थित तरीके से सुनिश्चित करेगा और गांवों के समग्र विकास में मदद करेगा। प्रस्तावित बिल में कुछ प्रमुख बदलाव हैं जैसे काम के दिनों की संख्या बढ़ाना, वित्त पोषण पैटर्न में बदलाव, तथा नई तकनीकों व निगरानी प्रणालियों का इस्तेमाल शामिल करना। सरकार का तर्क है कि MGNREGA में भ्रष्टाचार और प्रभावी कार्यान्वयन की चुनौतियां थीं और नए विधेयक से इन्हें दूर करने में मदद मिलेगी।
हालांकि संसद में बिल के पारित होने के समय विपक्षी सांसदों ने इसका जोरदार विरोध किया। लोक सभा में कई सांसदों ने न सिर्फ विरोध जताया बल्कि बिल की प्रतियां फाड़ कर सदन में नाराजगी व्यक्त की। विपक्ष ने इसे MGNREGA के मूल सिद्धांतों को कमजोर करने वाला कदम बताया और इसे G RAM G Bill के रूप में जनता की अपेक्षाओं के खिलाफ बताया।
राहुल गांधी का विरोध: G RAM G Bill को ‘Anti-Village’ व ‘Anti-State’ बताना
अध्यक्ष राहुल गांधी ने G RAM G Bill को ‘‘anti-village’’ और ‘‘anti-state’’ करार दिया है। उन्होंने कहा है कि यह विधेयक किसान और ग्रामीण समुदायों के खिलाफ है और यह एमजीएनरेगा के मूल दर्शन तथा ग्राम स्वराज की भावना को कमजोर करेगा। राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि इस बिल से न केवल महात्मा गांधी के आदर्शों का अपमान होता है, बल्कि लाखों ग्रामीणों की आजीविका और रोजगार की सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाएगी।
राहुल गांधी का कहना है कि MGNREGA, महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज और सामाजिक सुरक्षा की मूल भावना को दर्शाता था। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने पहले इस योजना को कमजोर किया और अब बिल के रूप में उसे पूरा बदलने की कोशिश कर रही है।
राहुल गांधी ने कहा है कि G RAM G Bill का वित्त पोषण पैटर्न (केंद्र और राज्यों के बीच 60:40 के अनुपात) और काम के दिनों में बदलाव, राज्यों पर अतिरिक्त बोझ डालेंगे और समान रोजगार के अवसर को प्रभावित करेंगे। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस बिल के माध्यम से सत्ता केंद्रीयकृत कर रही है जो राज्यों और ग्राम स्तर पर निर्णय लेने की शक्ति को घटाएगा।
इस विरोध के दौरान कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने पूरे देश में राष्ट्रीय स्तर पर विरोध प्रदर्शन और आंदोलन का आह्वान भी किया है, जिसमें बिल की प्रतियों को जलाने जैसे कड़े कदम उठाए गए हैं। विपक्ष का कहना है कि यह G RAM G Bill ग्रामीण जनता के हितों के खिलाफ है और इसके खिलाफ आंदोलन जारी रहेगा।
G RAM G Bill के व्यापक प्रभाव: ग्रामीण अर्थव्यवस्था और राजनीति
G RAM G Bill के समर्थन में सरकार का कहना है कि यह विधेयक ग्रामीण विकास के लिए आवश्यक संरचनात्मक बदलाव लाएगा और यह रोजगार की गारंटी के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी आजीविका के अवसर प्रदान करेगा। सरकार ने कहा है कि इस बिल के तहत ग्रामीण इलाकों में सड़कों, पानी, स्वास्थ्य केंद्रों जैसे बुनियादी ढांचे के विकास को भी प्राथमिकता मिलेगी। साथ ही, आधुनिक तकनीकों, जैसे डिजिटल निगरानी और डेटा प्रबंधन के इस्तेमाल से पारदर्शिता बढ़ेगी।
दूसरी ओर, आलोचक और विपक्षी दल सरकार के इस कदम को ग्रामीण गरीबों के अधिकारों के खिलाफ देखते हैं। उनका कहना है कि यह बिल मूल एमजीएनरेगा की अधिकार आधारित संरचना को खत्म करता है और इसे सहायता आधारित योजना में बदल देता है। कई सामाजिक संगठनों और श्रमिक समूहों का भी मानना है कि इस बिल से राज्यों पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा और कई गरीब परिवारों को रोजगार नहीं मिल पाएगा, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
राजनीतिक रूप से भी यह मुद्दा गर्मागर्म बना हुआ है, क्योंकि विपक्ष इसे 2025–26 के सत्र के दौरान प्रमुख मुद्दे के रूप में उठा रहे हैं और इसे ग्रामीण विकास तथा सामाजिक सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण निर्णायक क्षण के रूप में देखते हैं। राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं ने कहा है कि वे G RAM G Bill को हर स्तर पर चुनौती देंगे और इसे वापस लेने के लिए लोगों को संगठित करेंगे।