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कंबोडिया-थाईलैंड झड़पें तीव्र: हजारों बेघर, मौतें बढ़ीं — Trump’s ceasefire पर उठे सवाल
10 Dec 2025
पुरानी जड़, हालिया विस्फोट: युद्ध क्यों हुआ
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच वर्षों पुरानी सीमा विवाद — विशेषकर उन भू-भागों को लेकर जिनका इतिहास औपनिवेशिक कालीन नक्शों से जुड़ा है — बार-बार तनाव की वजह बनता रहा है। 2025 में इस विवाद ने नया मोड़ लिया, जब सीमा के संवेदनशील इलाकों में हथियार तैनात किए गए, और दोनों देशों की सेनाओं के बीच संघर्ष तेज हुआ।
पिछले कुछ महीनों में हुई झड़पों के बाद विश्व समुदाय और क्षेत्रीय संगठन लगातार संघर्ष को विराम देने की मांग कर रहे थे। इसी बीच, जुलाई 2025 में एक संघर्ष के बाद, Trump के दबाव और मध्यस्थता की कोशिशों के तहत एक अस्थायी समझौता (ceasefire) हुआ — जिसे हम “Trump’s ceasefire” कह सकते हैं। लेकिन उस समझौते की नींव काफी नाजुक थी। दोनों पक्षों की अविश्वसनीयता, सीमावर्ती सुरक्षा चिंताएँ और पुरानी शंकाओं ने युद्ध की आग को पूरी तरह बुझने नहीं दिया।
फिर टकराव — “Trump’s ceasefire” टूटा, युद्ध फिर भड़का
दिसंबर 2025 में — यानी पिछले कुछ दिनों में — सीमा पर फिर गोलीबारी, एयर-स्ट्राइक, रॉकेट हमले और तोपखाना गोलाबारी शुरू हो गई।
थाईलैंड ने कंबोडिया के सैन्य ठिकानों को निशाना बताया, जबकि कंबोडिया ने आरोप लगाया कि थाईलैंड ने नागरिक इलाकों को हवाई हमलों में निशाना बनाया।
नतीजा यह हुआ कि हालिया “Trump’s ceasefire” समझौता पूरी तरह ध्वस्त हो गया — और संबंधों में तल्खी फिर से लौट आई। दोनों देशों ने एक-दूसरे को ceasefire उल्लंघन का आरोप लगाया।
इस बार की हिंसा और भी हिंसक और विध्वंसकारी रही है — सीमावर्ती क्षेत्रों में भारी हथियारों, हवाई हमलों, रॉकेट और ड्रोन हमलों का उपयोग हुआ।
मानवीय त्रासदी: विस्थापन, मौतें, और असुरक्षा
इस बार के संघर्ष ने सीमावर्ती नागरिकों के लिए भयानक संकट खड़ा कर दिया है। रिपोर्टों के अनुसार, हजारों लोग बेघर हुए, सीमा के अनेक गाँवों व कस्बों से सुरक्षित स्थानों की ओर भागे।
मौतों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है — सिर्फ इस दौर में कई नागरिकों और सैनिकों की जानें गई हैं।
अस्पताल, स्कूल, घर और अन्य बुनियादी संरचनाएं क्षतिग्रस्त हुईं; कई लोगों को ज़रूरतमंदों के लिए अस्थायी आश्रय स्थलों में शरण लेनी पड़ी — जहां खाने, पानी और सुरक्षा की कमी सामने आई।
असंख्य परिवारों के पलायन और बिछुड़ने की वजह से हजारों लोग अपने पूर्व सामान्य जीवन से कट गए हैं — एक मानवीय आपदा चारों तरफ फैली हुई है।
“Trump’s ceasefire” का भविष्य — क्या संभव है स्थायी शांति?
जहाँ एक ओर हिंसा और अव्यवस्था ने हालात बिगाड़ दिए हैं, वहीं “Trump’s ceasefire” की विश्वसनीयता और स्थायित्व पर गहरा संदेह पैदा हो चुका है। इस समझौते के टूटने ने दिखा दिया है कि केवल एक तटस्थ मध्यस्थता द्वारा हस्ताक्षरित समझौता — बिना गहरी संरचनात्मक गारंटी और भरोसे के — सीमित अवधि का ठहराव दे सकता है, दीर्घकालीन शांति नहीं।
विश्लेषकों का कहना है कि बिना स्पष्ट सीमा रेखाओं, भरोसे और स्थानीय विश्वास बहाली के, फिर से संघर्ष की संभावना बनी रहेगी। “Trump’s ceasefire” यदि फिर से कायम भी हुआ, तो भी इसे केवल एक शुरुआत माना जा सकता है — लेकिन असली परीक्षा होगी उन उपायों की जो स्थायी समाधान की नींव रखें।
अंतराष्ट्रीय समुदाय, क्षेत्रीय शक्ति-संघ (जैसे ASEAN), और दोनों देशों की सरकारों को मिलकर — दीर्घकालीन शांति और स्थिरता के लिए — एक संपूर्ण रोडमैप तैयार करना होगा, जिसमें सीमा विवाद, नागरिक सुरक्षा, विस्थापितों की रक्षा, और आपसी भरोसे को शामिल करना आवश्यक है।