Article

छत्तीसगढ़ कोयला खदान विरोध में पुलिस और ग्रामीणों के बीच झड़प

 05 Dec 2025

छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में परसोड़ी गाँव के निवासियों ने बीते बुधवार को कोल इंडिया लिमिटेड (SECL) की अमेरा विस्तार कोयला खदान का विरोध किया। जिस दौरान छत्तीसगढ़ कोयला खदान विरोध में ग्रामीणों द्वारा पथराव किया गया जिसके परिणामस्वरूप पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। जिसका नतीजा यह हुआ कि ग्रामीणों के साथ ASP समेत लगभग 25 से अधिक पुलिसकर्मी भी घायल हो गए। जिसके बाद मामले का संज्ञान लेते हुए क्षेत्र में 400 से अधिक संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है।

खदान विरोध में अधिकारियों का क्या रुख?


खदान विरोध से जुड़े पूरे मामले पर स्थानीय जिला कलेक्टर अधिकारी सुनील नायक का कहना है कि “कुछ ग्रामीणों को भूमि अधिग्रहण के लिए मुआवजा मिला था, लेकिन कई ग्रामीणों ने पैसा लेने से मना कर दिया। यहीं तक नहीं बल्कि खनन कार्य में बाधा डालने की भी कोशिश की गई।

क्या है सरगुजा कोयला खनन विवाद ?


छत्तीसगढ़ कोयला खदान विरोध में परसोड़ी कला की एक महिला प्रदर्शनकारी लीलावती बताती हैं कि वह अपनी ज़मीन देने के लिए कतई राज़ी नहीं हैं। आगे वह कहती हैं “हमें अपनी ज़मीन से बहुत प्यार है और इसे हम सरकार को बिल्कुल नहीं देना चाहते हैं। SECL को कोयला तो कहीं से भी मिल जाएगा लेकिन जिस जमीन से हमारे पूर्वज जुड़े थे, हमारी संस्कृति जुड़ी है, हमारे रोटी-रोज़ी का जो जरिया है। अगर आज हमारे आजीविका का स्त्रोत छीन लिया जाता है तो आने वाले दिन में हमारी पीढ़ियां भीख मांगने पर मजबूर हो जाएंगी। हमारी पूरी ज़मीनें जिस हिसाब से खदान के लिए ली जा रही है।

छत्तीसगढ़ कोयला खदान विरोध से जुड़े कुछ अन्य प्रदर्शनकारियों का कहना है कि “कृषि के लिए भूमि उनकी आजीविका का एकमात्र साधन है उसे भी जबरन सरकार छीन रही है जिसके लिए वह विरोध कर रहे हैं और वे हार नहीं मानेंगे।” ग्रामीणों ने यह भी कहा कि उनकी जमीन का अधिग्रहण कोल बेयरिंग एक्ट के तहत उनकी बिना सहमति के कर लिया गया है। उन्हें जमीन के बदले नौकरी देने की बात कही गई थी पर SECL के तरफ़ से इसकी कोई सूचना नहीं है। सरकार जिस मुआवजे की बात कर रही है वह अब तक केवल 15 के आसपास ग्रामीणों को ही मिला है। वह इस बात से भी असंतुष्ट हैं कि मुआवजे की राशि 2016 के आधार पर तय की गई थी। क्या 2025 के अनुसार उसमें बढ़ोतरी नहीं होनी चाहिए थी?

सिंहदेव ने छत्तीसगढ़ कोयला खदान विरोध को ‘गुजरात मॉडल’ से जोड़ा


सिंहदेव छत्तीसगढ़ विरोध समाचार के मामले से जुड़े अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इसे 'गुजरात मॉडल' कहते हुए सरकार पर सवाल खड़े करते हैं। सरकार जिनकी प्रतिनिधि है उन्हीं पर लाठियां बरसायी जा रही है। छत्तीसगढ़ कोयला खदान विरोध का यह दृश्य लोकतंत्र को शर्मिंदा करने वाला है। देश में जिस तेजी से बाहर की कंपनियां कब्जा जमा रही हैं उससे स्थानीय लोगों के रोजगार और संसाधनों तक पहुंच दूर होती जा रही है। सरकार का काम जनता की रक्षा करना है, उन्हीं पर लाठियां चलाना नहीं।

 

 

 विपक्षी पार्टियों ने क्या कहा

विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इसे भाजपा सरकार पर “जबरन खनन” का आरोप लगाया है। X पर पोस्ट करते हुए कांग्रेस ने कहा है सरगुजा जिले के अमेरा में जो कुछ हो रहा है, वह सिर्फ़ एक खदान का विवाद नहीं है।यह सरकार की सोच का आईना है।

कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला कहते हैं, “जब से छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनी है तभी से आदिवासियों और ग्रामीणों की आवाज़ दबाने की कोशिशें की जा रही हैं। भारत में जिस तेजी से कोयला खनन संघर्ष के मामले, वनों की कटाई के मामले सामने आ रहे हैं इसका दुष्परिणाम जल्द ही मिलने वाला है। अडानी के दबाव में अधिकांश कोयला खदानें उन्हें दे दी गई हैं। जंगलों की कटाई की रफ़्तार बढ़ने लगी है सरकार भी इस पर कोई नियंत्रण नहीं कर रही है। ग्रामीणों के सहमति के बिना ही खनन का काम शुरू हो गया है इसलिए लोग SECL का विरोध कर रहे हैं तो इसमें बुराई क्या है।”


SECL ने इसे असामाजिक तत्वों का हस्तक्षेप बताया


SECL बिलासपुर के जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि खनन कार्य में पहले भी रुकावट पैदा की गई है। 2001 में परसोढ़ीकला, अमेरा, पूहपुटरा और कटकोना गांवों की जमीन SECL के अंतर्गत अधिग्रहित की गई थी, जिसके बाद 2011 में खनन कार्य शुरू हुआ था। 2019 में कुछ असामाजिक तत्वों के उकसावे के कारण ग्रामीणों ने वैधानिक प्रावधानों से ज्यादा की लाभ मांग की और खनन कार्य बंद करना पड़ा था। 2024 में प्रशासनिक हस्तक्षेप के बाद संचालन फिर से शुरू हुआ और प्रभावित परिवारों को निर्धारित मुआवजा और R&R (Rewards & Recognition) लाभ दिए जाने लगे। वहीं स्थिति फ़िर बनी है। छत्तीसगढ़ कोयला खदान विरोध में ग्रामीणों को समझाने के लिए 3 दिसंबर 2025 को प्रशासनिक अधिकारी ASP, SDM, तहसीलदार और SECL अधिकारी सरगुजा पहुँचे थे, लेकिन भीड़ ने उनकी अपील नहीं मानी और पुलिस और अधिकारियों पर पथराव करना शुरू कर दिया। स्थिति बिगड़ने पर पुलिसकर्मियों को बुलाकर भीड़ को काबू में किया गया।

Read This Also:- Winter Session Day 5: संसद फिर से शुरू — DMK प्रदर्शन, व बिल-पारितियों के बीच नया सत्र