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विधायक राहुल ममकूटाथिल पर कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज की — एक राजनीतिक-कानूनी तूफान।

 05 Dec 2025

विधायक राहुल ममकूटाथिल के खिलाफ सुनवाई और अदालत का फैसला


हाल ही में विधायक राहुल ममकूटाथिल की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। Thiruvananthapuram Principal District and Sessions Court ने इस याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत प्रारंभिक साक्ष्यों — जैसे कि चिकित्सा रिपोर्ट, मेडिकल प्रमाण पत्र, एम्‍ब-अनुमानित गर्भपात से जुड़ी दवाओं के उपयोग, कथित तौर पर ज़बरदस्ती, तथा ऑडियो और चैट रिकॉर्ड — ऐसे हैं कि आरोपी को न्यायिक हिरासत में लिए बिना मुकदमा की निष्पक्ष जांच संभव नहीं है।

अदालत ने साफ कहा कि इस तरह के गंभीर आरोपों में “विशेषाधिकारात्मक जमानत” देना उचित नहीं होगा। साथ ही, आरोपी के समकक्ष अन्य मुकदमों की पृष्ठभूमि और सुराग भी उपलब्ध थे। अदालत ने कहा कि ज़मानत मिलने की स्थिति में गवाहों पर दबाव, सबूतों में छेड़-छाड़ या आपराधिक साजिश की संभावना को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। इस निर्णय के साथ ही विधायक राहुल ममकूटाथिल का राजनीतिक और कानूनी मोर्चा दोनों ही बहु-रंजित हो गया।

विधायक राहुल ममकूटाथिल की पार्टी में निष्कासन — कांग्रेस का बड़ा कदम


जस्ट इसी दिन, अदालत द्वारा अग्रिम जमानत याचिका खारिज किए जाने के कुछ ही घंटे बाग़, Kerala Pradesh Congress Committee (KPCC) ने विधायक राहुल ममकूटाथिल को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से बाहर कर दिया है। पार्टी अध्यक्ष सनी जोसेफ ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा किए गए आरोप और चल रही शिकायतों को देखते हुए, ऐसे नेता को संगठन में और स्थान नहीं दिया जा सकता।

यह कार्रवाई पार्टी की नीतिगत जवाबदेही और सामाजिक न्याय के समर्थन का संकेत है — विशेष रूप से जब पार्टी पहले ही मुआवज़ा और सतर्कता की बात कर चुकी थी। निष्कासन के साथ ही राहुल का संगठन और राजनीतिक भविष्य अनिश्चित हो गया है। कई वरिष्ठ नेताओं ने इसे एक “स्वतंत्र और सशक्त फैसला” बताया, जिससे पार्टी ने अपनी छवि सुधारने की कोशिश की है।

मामले की पृष्ठभूमि, आरोप और कानूनी प्रक्रिया


मामला सबसे पहले एक शिकायत से सामने आया — जिसमें एक युवती ने आरोप लगाया कि विधायक राहुल ममकूटाथिल ने उसके साथ भरोसे का फायदा उठा कर उसकी यौन शोषण किया, और बाद में उस पर ज़बरदस्ती गर्भपात कराने का दबाव डाला। FIR में यह भी कहा गया कि गर्भपात के लिए कथित रूप से नर्सिंग सुझाव या मेडिकल निगरानी के बिना दवाएं दी गई थीं।

अभियोजन पक्ष ने अदालत को मेडिकल रिपोर्ट, अस्पताल रिकार्ड्स, डॉक्टरों की गवाही, और डिजिटल सुबूत (चैट और ऑडियो रिकॉर्ड) प्रस्तुत किए। आरोप है कि पीड़िता को बार-बार गलत वादों के साथ यौन संबंध बनाने के लिए राज़ी किया गया, और बाद में उसका गर्भपात करवाया गया — बिना वैध चिकित्सकीय निगरानी या सहमति के।

दूसरी ओर, रक्षा पक्ष का दावा था कि यह याचिका राजनीतिक साजिश का हिस्सा है — क्योंकि पीड़िता या उसके पति का कथित रूप से एक बड़े राजनीतिक दल से संबंध है। उन्होंने कहा कि संबंध पारस्परिक था, और गर्भपात भी महिला की अपनी सहमति से हुआ। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि अब तक उनका क्लाइंट पुलिस और न्यायिक प्रक्रिया के अनुकूल रहा है।

लेकिन अदालत ने अभियोजन द्वारा पेश किए गए तथ्यों को प्राथमिकता दी। न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि जमानत देना न्याय की गुणवत्ता और गवाहों की सुरक्षा दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है। इस तरह के गंभीर आरोपों में हिरासत में लेकर जांच आगे बढ़ाना आवश्यक है।

अब तक, पुलिस ने देखा कि आरोपी कई पुलिस नोटिसों के बाद भी गैर मौजूद था — उससे बचने के लिए कहीं भागने की कोशिश की जा रही थी। पुलिस ने देशव्यापी खोज जारी रखी है और उन लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की है जिनके ऊपर उसे आशंका है कि वे उसे छुपा रहे हैं।