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दिल्ली स्कूल आत्महत्या मामले में पिता ने दिल्ली पुलिस से जांच सीबीआई को सौंपने की मांग की
04 Dec 2025
दिल्ली छात्र की मौत का मामला
दिल्ली छात्र की मौत का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। जिसके दौरान दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को सेंट कोलंबस स्कूल के 16 वर्षीय छात्र के पिता द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसने आत्महत्या कर ली थी, और शिक्षकों और स्कूल के प्रिंसिपल द्वारा प्रताड़ित करने का आरोप लगाया गया था। जिसके बाद परिजनों ने कोर्ट में याचिका दायर कर दिल्ली पुलिस से केंद्रीय जांच ब्यूरो को जांच स्थानांतरित करने की मांग की है।
वहीं न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने दिल्ली पुलिस से कार्रवाई के संबंध में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा और सुनवाई की अगली तारीख 12 मार्च तय की है।पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि स्थिति रिपोर्ट चार सप्ताह में दाखिल की जाए। इसे 12 मार्च को सूचीबद्ध किया जाए।अदालत ने सीबीआई से भी जवाब मांगा है।
दरअसल छात्र ने 18 नवंबर को मेट्रो स्टेशन से छलांग लगा दी थी और एक हस्तलिखित नोट छोड़ा था, जिसमें चार कर्मचारियों - प्रधानाध्यापिका और तीन शिक्षिकाओं पर लगातार दुर्व्यवहार का आरोप लगाया गया था। घटना के प्रकाश में आने के बाद, स्कूल ने उन पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया था और एक्शन लेते हुए उन्हें निलंबित कर दिया था।दिल्ली पुलिस की जाँच के दौरान पाया गया कि स्कूल के सीसीटीवी में आरोपों के कुछ हिस्सों की बात सही साबित हुई है।
दिल्ली पुलिस की जाँच पर सवाल
जबकि छात्र के पिता प्रदीप पाटिल के प्रतिनिधित्व अधिवक्ता प्रीतिश सभरवाल ने कोर्ट में तर्क देते हुए कहा कि पुलिस ने माता-पिता के बयान याचिका दायर होने के बाद ही दर्ज किए, आगे बताते हुए सभरवाल ने बताया कि मामले के लिए नियुक्त जांच अधिकारी एक पुरुष था, जबकि आरोपी महिला शिक्षक थीं।
कोर्ट में दिल्ली पुलिस की ओर से स्थायी वकील संजय लाऊ ने मामले के स्थानांतरण का विरोध करते हुए बताया कि पुलिस ने घटना के एक दिन बाद 19 नवंबर को प्राथमिकी दर्ज कर ली थी और जाँच जारी है। उन्होंने आगे कहा कि अगर पिता जाँच से संतुष्ट नहीं हैं, तो मामला अपराध शाखा को भी स्थानांतरित किया जा सकता है।
अपनी याचिका में, जिस पर अधिवक्ता श्वेता सिंह, मेहविश खान और शिव चोपड़ा ने भी बहस की, पाटिल ने दावा किया है कि जब वह अपनी पत्नी के साथ एफआईआर दर्ज कराने पुलिस स्टेशन गए, तो पुलिसकर्मियों ने लगभग चार घंटे लगा दिए और उन्हें एफआईआर की विषयवस्तु लिखवाने की भी कोशिश की, और स्कूल का नाम न लिखने की हिदायत दी। याचिका के मुताबिक पुलिसकर्मियों ने अब तक स्कूल अधिकारियों या उन शिक्षकों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई के लिए कोई कदम नहीं उठाया है, जिनका नाम सुसाइड नोट में विशेष रूप से लिखा गया है।
दिल्ली छात्र की मौत के मामले में याचिका में आगे बताया गया कि, एफआईआर दर्ज हो चुकी है, लेकिन अब तक जाँच एजेंसी इस हद तक पक्षपाती दिख रही है कि वह आरोपियों को बचा रही है, जबकि सुसाइड नोट में उनका नाम भी है। जाँच का स्थानांतरण इसलिए किया जा रहा है क्योंकि स्थानीय पुलिस प्रभाव और दबाव में काम कर रही प्रतीत होती है।
वैकल्पिक रूप से, पाटिल ने दिल्ली छात्र की मौत के मामले की निष्पक्ष जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन की भी मांग की है , जिसमें कहा गया है कि उनके बेटे ने अपनी अंतिम इच्छा के रूप में सुसाइड नोट में स्पष्ट रूप से शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी, और अंतिम शब्दों का सम्मान करने के लिए स्थानांतरण आवश्यक हो जाता है।
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