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सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद बांग्लादेश भेजी गई गर्भवती महिला भारत लौटेंगी

 04 Dec 2025

विदेश से गर्भवती महिला को वापस लाया गया


सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया, एक सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में मानवीय आधार पर मामला सुरक्षित रखते हुए केंद्र सरकार से कहा कि वह नौ महीने की गर्भवती सुनाली खातून और उसके 8 साल के बच्चे को बांग्लादेश से वापस लाए. अदालत ने कहा कि कानून को कभी-कभी इंसानियत के आगे झुकना होता है.

यह फैसला बांग्लादेशी घुसपैठियों से संबंधित एक सुनवाई के दौरान सुनाया गया, जिसमें बांग्लादेश डिपोर्ट किए गए परिवार को वापस भारत लाने की मांग की गई थी. वही चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जोयमाल्या बागची की बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी. सुनवाई चलने के तहत केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि सरकार सोनाली और उनके बेटे को भारत वापस आने देगी. उन्होंने साफ़ किया कि यह अनुमति मानवीय आधार पर होगी. इससे नागरिकता से जुड़े मुद्दों पर सरकार का रुख प्रभावित नहीं होगा।

दरअसल सुनाली खातून व उनके परिवार के 5 लोगों को बांग्लादेशी होने के शक में दिल्ली से हिरासत में लिया गया था. इसके बाद 27 जून को उन्हें सीमा पार बांग्लादेश भेज दिया गया. हालांकि कोर्ट में आगे की सुनवाई 10 दिसंबर को होगी जिसमें परिवार के अन्य सदस्यों की वापसी पर भी सुनवाई की जाएगी.

क्या है सुनाली खातून मामला?


सुनाली खातून अपने बेटे और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ दिल्ली में रह रही थीं, पुलिस को उनके बांग्लादेशी होने का शक था जिसके बाद 18 जून 2025 को रोहिणी इलाके से हिरासत में ले लिया था. कार्रवाई के बाद 27 जून को सोनाली खातून को सीमा पार बांग्लादेश भेज दिया गया. जहां बांग्लादेश पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था.

सुनाली खातून मामले में उनके पिता भोटू शेख का दावा है कि वह अपने परिवार के साथ पिछले 20 साल से पश्चिम बंगाल और दिल्ली में रह रहे थे और सभी भारतीय नागरिक हैं. इसी आधार पर उन्होंने कलकत्ता हाई कोर्ट में हेबियस कॉर्पस याचिका दायर की.

इससे पहले हाईकोर्ट ने केंद्र को परिवार को भारत वापस लाने का आदेश दिया था, जिसके खिलाफ केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई. सुप्रीम कोर्ट ने 1 दिसंबर को केंद्र से पूछा था कि क्या सुनाली और उनके 8 साल के बेटे को मानवीय आधार पर वापस लाया जा सकता है. इस पर आज केंद्र ने जवाब दिया है, जिसके बाद गर्भवती महिला भारत लौट आएगी.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि महिला और उनके बेटे को सरकारी प्रक्रिया से बांग्लादेश भेजा गया था, इसलिए सरकार का रुख लिखित में रिकॉर्ड करना जरूरी है, ताकि जल्दी कूटनीतिक काम शुरू किया जा सके. इस पर कोर्ट ने इसे अपने आदेश में शामिल कर लिया है.

टीएमसी ने कहा गरीब परिवार के लिए बड़ी जीत


टीएमसी ने इसे गरीब परिवार के लिए बड़ी जीत बताया। टीएमसी नेता समीरुल इस्लाम ने इस मुद्दे पर कहा कि सुनाली को कुछ महीने पहले सिर्फ इसलिए बांग्लादेश भेज दिया गया था क्योंकि वह बंगाली बोलती थी। यह दिखाता है कि गलत पहचान की वजह से एक गरीब महिला को कितना बड़ा नुकसान झेलना पड़ा। हालांकि बाद में उन्होंने कोर्ट को धन्यवाद देकर कहा कि वह गर्भवती महिला सुनाली खातून के भारत लौटने से खुश है।

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