Article

मोहाली पंचायत समिति और ज़िला परिषद चुनाव स्थगित: कारण, प्रभाव और आगे की राह

 01 Dec 2025

मोहाली ज़िले में पंचायत समिति और ज़िला परिषद चुनावों को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। पंजाब राज्य निर्वाचन आयोग (SEC) द्वारा जारी इस फैसले ने क्षेत्र की राजनीतिक हलचल को तेज कर दिया है। मोहाली पंचायत समिति चुनाव से जुड़े इस निर्णय ने ग्रामीण विकास और स्थानीय प्रशासन से जुड़े इन चुनावों की देरी को और गंभीर बना दिया है। न सिर्फ़ राजनीतिक दलों बल्कि आम नागरिकों के बीच भी कई सवाल खड़े हो गए हैं। चूंकि ये चुनाव स्थानीय लोकतंत्र की रीढ़ माने जाते हैं, इसलिए इनके स्थगन का असर व्यापक स्तर पर देखा जा रहा है।

चुनाव स्थगित होने के प्रमुख कारण


चुनाव टलने के पीछे सबसे बड़ा कारण सीटों के आरक्षण रोस्टर से जुड़े कानूनी और प्रशासनिक विवाद हैं। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में इस समय कई याचिकाएँ लंबित हैं जो विभिन्न श्रेणियों—जैसे पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों—की व्यवस्था को चुनौती देती हैं। चूंकि कोर्ट का अंतिम फैसला अभी आना बाकी है, इसलिए निर्वाचन आयोग ने माना कि ऐसे में चुनाव कराना भविष्य में कानूनी जटिलताओं को जन्म दे सकता है। यही कारण है कि मोहाली पंचायत समिति चुनाव को भी आगे की तारीख तक टाल दिया गया है।

इसके अलावा, कुछ क्षेत्रों में वार्ड डिलिमिटेशन से जुड़े मुद्दे और मतदाता सूची के अद्यतन कार्य भी पूरी तरह समाप्त नहीं हुए थे। अधिकारी मानते हैं कि बिना इन प्रक्रियाओं को पूरा किए चुनाव कराना पारदर्शिता और निष्पक्षता के मानकों के अनुरूप नहीं होगा।

स्थानीय प्रशासन और विकास पर असर


चुनाव स्थगन का सीधा असर ग्रामीण विकास तंत्र पर पड़ता है। पंचायत समिति और ज़िला परिषद, दोनों ही स्थानीय विकास योजनाओं, बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। नई निर्वाचित संस्थाओं के बिना कई परियोजनाओं में देरी हो सकती है।

हालांकि प्रशासनिक अधिकारी फिलहाल कामकाज संभाल रहे हैं, लेकिन कई बड़े फैसले—जैसे बजट आवंटन, नई परियोजनाओं की मंजूरी और दीर्घकालिक योजनाएँ—आमतौर पर चुने हुए प्रतिनिधियों की सहमति से ही होते हैं। इससे जनता चिंतित है कि क्षेत्रीय विकास की रफ्तार धीमी पड़ सकती है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और जनता की राय


राजनीतिक दलों में इस फैसले को लेकर मिलीजुली प्रतिक्रिया है। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि सरकार चुनाव कराने के लिए तैयार नहीं थी, इसलिए कानूनी मुद्दों को बहाना बनाया गया। वहीं सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि किसी भी विवादित आरक्षण व्यवस्था पर चुनाव कराना लोकतांत्रिक मानकों के खिलाफ होगा और भविष्य में और विवाद पैदा कर सकता है।

जनता के बीच भी मतभेद दिख रहे हैं। कुछ लोग चुनाव टलने को सही ठहरा रहे हैं क्योंकि इससे प्रतिनिधित्व सुनिश्चित होगा, वहीं कुछ इसे ग्रामीण लोकतंत्र को कमजोर करने वाला कदम मानते हैं।

आगे की प्रक्रिया


निर्वाचन आयोग ने संकेत दिया है कि हाई कोर्ट का निर्णय आने के बाद ही नई चुनाव तिथियाँ घोषित की जाएंगी। मतदाता सूचियों का अद्यतन और वार्ड सीमांकन के लंबित कार्य भी तेज़ी से पूरे किए जा रहे हैं ताकि कानूनी स्थिति स्पष्ट होते ही चुनाव सुचारु रूप से संपन्न कराए जा सकें। माना जा रहा है कि मोहाली पंचायत समिति चुनाव नई घोषणा के बाद जल्द ही फिर से प्रक्रिया में लाए जाएंगे।

निष्कर्ष


मोहाली में पंचायत समिति और ज़िला परिषद चुनावों का स्थगन प्रशासनिक पारदर्शिता, कानूनी मजबूती और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया निर्णय है। भले ही इससे विकास कार्यों की गति अस्थायी रूप से प्रभावित हो सकती है, लेकिन सही आरक्षण व्यवस्था और स्पष्ट कानूनी स्थिति के साथ होने वाले चुनाव भविष्य में स्थानीय शासन को और अधिक सशक्त बनाएंगे।

Read This Also:- जमीनी कर्मियों पर बोझ? MP में 10 दिनों में 9 BLO की मौत पर उठ रहे सवाल!