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संविधान दिवस पर कांग्रेस के आरोप: डॉ. भीमराव अंबेडकर के संवैधानिक मूल्यों पर चिंता

 26 Nov 2025

26 नवंबर, 2025 को संविधान दिवस के मौके पर कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर गंभीर आरोप लगाए। रमेश का कहना है कि वर्तमान सरकार संविधान के मूल सिद्धांतों को जानबूझकर कमजोर करने की कोशिश कर रही है।

संविधान निर्माण में ऐतिहासिक संदर्भ


जयराम रमेश ने संविधान दिवस पर एक लंबा बयान जारी किया। उन्होंने याद दिलाया कि 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा ने भारत के संविधान को अपनाया था। उस दिन सुबह 10 बजे डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में संविधान सभा की बैठक हुई थी। इससे पहले डॉ. भीमराव अंबेडकर ने संविधान के मसौदे को प्रस्तुत किया था। डॉ. अंबेडकर को संविधान निर्माण समिति का अध्यक्ष बनाया गया था और उनकी अगुवाई में ही यह ऐतिहासिक दस्तावेज तैयार हुआ।

रमेश ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद के उस भाषण का जिक्र किया जिसमें उन्होंने संविधान निर्माण की पूरी प्रक्रिया को समझाया था। प्रसाद ने कहा था कि संविधान सभा ने पहले एक उद्देश्य प्रस्ताव तैयार किया था। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 13 दिसंबर, 1946 को इस प्रस्ताव को रखा था। यही प्रस्ताव आज हमारे संविधान की प्रस्तावना का आधार बना है। डॉ. भीमराव अंबेडकर ने इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाते हुए संविधान का पूरा ढांचा तैयार किया।

आरएसएस की भूमिका पर सवाल


कांग्रेस नेता का दावा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस का संविधान निर्माण में कोई योगदान नहीं था। रमेश ने कहा कि संविधान बनाने का श्रेय मुख्य रूप से पंडित नेहरू, सरदार पटेल और डॉ. भीमराव अंबेडकर को जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि संविधान के अपनाए जाने के बाद आरएसएस का रुख संविधान के खिलाफ रहा है। डॉ. भीमराव अंबेडकर ने जो संविधान बनाया था, उसकी आलोचना करने वालों में आरएसएस भी शामिल था।

राजगोपालाचारी के बयान का हवाला


रमेश ने भारत के अंतिम गवर्नर-जनरल सी. राजगोपालाचारी के एक बयान का भी जिक्र किया। राजगोपालाचारी ने गुवाहाटी में एक कार्यक्रम में कहा था कि डॉ. अंबेडकर का संविधान निर्माण में अग्रणी योगदान अहिंसा की सबसे बड़ी जीत थी। उन्होंने यह भी कहा था कि डॉ. अंबेडकर को यह जिम्मेदारी सौंपने का निर्णय पंडित नेहरू और सरदार पटेल की उदारता का प्रतीक था।

वर्तमान सरकार पर आरोप


जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि वर्तमान प्रधानमंत्री और गृह मंत्री संविधान के सिद्धांतों, प्रावधानों और प्रथाओं को जानबूझकर कमजोर कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह एक सुनियोजित प्रयास है जिसका मकसद संवैधानिक मूल्यों को कमजोर करना है। रमेश ने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने जो संविधान बनाया था, उसकी रक्षा करना हम सभी का कर्तव्य है।

संविधान दिवस का महत्व


2015 से भारत में 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। यह दिन 1949 में संविधान सभा द्वारा संविधान को अपनाए जाने की याद दिलाता है। यह दिन भारतीय लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने और संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है।

राजनीतिक प्रतिक्रिया


कांग्रेस पार्टी ने संविधान दिवस पर इस मुद्दे को उठाकर राजनीतिक बहस को नया आयाम दिया है। पार्टी का मानना है कि संविधान के मूल सिद्धांतों की रक्षा करना सभी नागरिकों और राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी है।

निष्कर्ष

संविधान दिवस के मौके पर उठाए गए ये मुद्दे भारतीय लोकतंत्र की मजबूती और संवैधानिक मूल्यों के संरक्षण के लिए बेहद अहम हैं। यह बहस यह याद दिलाती है कि संविधान सभा के सदस्यों ने जो संविधान तैयार किया था, उसकी रक्षा करना हम सभी का कर्तव्य है। भारत के संविधान ने देश को एकजुट रखने और सभी नागरिकों को समान अधिकार देने में अहम भूमिका निभाई है।

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