हाल ही में नरेंद्र मोदी ने चुनावी सभा के दौरान एक पुराने विवाद को ताज़ा किया — वह विवाद है गोलू अपहरण कांड। उन्होंने कहा कि इस कांड ने बिहार में कानून-व्यवस्था के स्तर को उजागर किया है और इसे भूलना आसान नहीं। इस कांड में सिर्फ अपहरण नहीं हुआ था, बल्कि उसके बाद शहर आग के समान जल उठा था, हेलिकॉप्टर से एसपी भेजने जैसे असाधारण कदम उठाए गए थे। मोदी के हवाले से यह मामला फिर से सुर्खियों में आया है क्योंकि उन्होंने इसे उस राज्य में चल रहे राजनीतिक-प्रशासनिक संकट का प्रतीक बताया है।
“गोलू अपहरण कांड” 23 वर्ष पहले भले हुआ हो, लेकिन अभी भी इसकी लम्बित फाइल चर्चा में है। मुजफ्फरपुर जिले की इस घटना में पुलिस उपद्रव, राजनीतिक दबाव और प्रशासनिक निष्क्रियता जैसे तत्व सामने आए।
मोदी ने इसे उद्धृत करते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं राज्य को पीछे धकेलती हैं और विकास को बाधित करती हैं।
गोलू अपहरण कांड: घटना-वृत्तान्त
“गोलू अपहरण कांड” के तहत एक युवा ‘गोलू’ के अपहरण की घटना हुई थी, जिसके बाद पूरे शहर में हिंसा व उपद्रव फैल गया था। पुलिस ने स्थिति को काबू करने के लिए इस तरह के कदम उठाये — उदाहरणस्वरूप, हेलिकॉप्टर से एसपी भेजना। इन कड़े कदमों से यह प्रतिबिंबित होता है कि यह सिर्फ एक सामान्य अपराध नहीं था, बल्कि प्रशासन के लिए एक गंभीर चुनौती थी।
घटना के बाद वर्षो तक फाइल बंद पड़ी रही, लेकिन हाल ही में पुलिस ने उपद्रव से जुड़े नामजद आरोपियों की तलाश शुरू की है।
इस प्रकार “गोलू अपहरण कांड” सिर्फ एक अपराध-कांड नहीं बल्कि कानून-व्यवस्था, अपराध-प्रशासन और राजनीति के बीच एक संगम बन गया है।
राजनीतिक आयाम
मोदी ने अपनी सभा में इस कांड का ज़िक्र उस संदर्भ में किया कि राज्य में पिछले शासनकाल में “कट्टा, क्रूरता, कटुता, करप्शन और कुशासन” जैसी विशेषताएँ पन-पाईं। उन्होंने आरोप लगाया कि इस तरह की घटनाएँ निर्देशन-हीन प्रशासन का परिणाम हैं।
“गोलू अपहरण कांड” का राजनीतिक उपयोग इस तरह से हुआ कि इसे एक प्रतीक के रूप में पेश किया गया — जहाँ अपराध-प्रशासन की विफलता और राजनीतिक-दखल को उजागर किया गया। इस कांड को उठाकर मोदी ने मतदाताओं से आग्रह किया कि वे बदलाव की दिशा में वोट दें, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
कानून-व्यवस्था व प्रशासन की चुनौतियाँ
इस कांड ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं:
- अपराध के बाद प्रशासन为何 तुरंत नियंत्रण नहीं कर पाया?
- नामजद आरोपियों की गिरफ्तारी में इतनी देर क्यों हुई?
- हेलिकॉप्टर से एसपी भेजने जैसा कदम क्यों उठाना पड़ा — क्या यह प्रशासन की नियमित प्रक्रिया है या त्वरित उपाय?
- राजनीतिक दखल और अपराध-प्रशासन में मिले-जुले संबंधों ने अपराध-सन्र्कोचन को कैसे प्रभावित किया?
ऐसे कई पहलू अभी भी अनसुलझे हैं। फाइल खुलने के बाद पुलिस ने कई ठिकानों पर छापेमारी की है, लेकिन आरोपियों की पकड़ पूरी नहीं हुई है।