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शशि थरूर ने कहा — “डोनाल्ड ट्रम्प को नहीं बताना चाहिए कि भारत क्या करेगा”

 24 Oct 2025

शशि थरूर ने ट्रम्प के रूस-तेल दावे पर जताई तीखी आलोचना


भारत-अमेरिका संबंधों में एक नया मोड़ तब आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump ने दावा किया कि भारत वर्षांत तक रूस से तेल आयात लगभग समाप्त कर देगा। इसके जवाब में, कांग्रेस नेता Shashi Tharoor ने कड़े शब्दों में कहा कि “ट्रम्प को नहीं बताना चाहिए कि भारत क्या करेगा” — जिसका अर्थ है कि भारत अपनी विदेश-नीति व ऊर्जा रणनीति को स्वयं तय करेगा और इस तरह की घोषणाएँ किसी बाहरी शख्स द्वारा नहीं होनी चाहिए।

शशि थरूर ने कहा कि यह ठीक नहीं है कि अमेरिकी राष्ट्रपति भारत की ओर से फैसले घोषित कर दें। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत अपनी नीतियाँ स्वयं बनाएगा और घोषित करेगा। यह बयान विशेष रूप से उस राजनीतिक दबाव की पृष्ठभूमि में आया है जिसमें भारत पर रूस-तेल आयात को लेकर अमेरिका द्वारा आर्थिक एवं व्यापारिक दबाव बनाया जा रहा है।

शशि थरूर की प्रतिक्रिया न केवल एक राजनीतिक बयान थी, बल्कि यह व्यापक संदेश भी थी कि भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखना चाहता है। भारत की ऊर्जा सुरक्षा, उपभोक्ता हित व विदेश-नीति निर्णय केवल आर्थिक या राजनीतिक दबाव द्वारा निर्धारित नहीं होंगे बल्कि राजनयिक विवेक व राष्ट्रीय हित के आधार पर होंगे।

शशि थरूर ने स्वतंत्र निर्णय-क्षमता के पक्ष में रखा भारत का पक्ष


अमेरिका द्वारा यह दावा कि भारत ने वादा किया है कि वह रूस से तेल आयात लगभग बंद कर देगा, भारत की विदेश मंत्रालय द्वारा तत्काल खारिज कर दिया गया था। भारत ने कहा कि ऐसी किसी बातचीत या वचनबद्धता का उन्हें जानकारी नहीं है।

शशि थरूर ने इस संदर्भ में यह भी कहा कि भारत को किसी भी देश के सामने “दुम दबा कर” नहीं चलना है। उन्होंने अमेरिकी नीति-निर्माताओं से पूछा कि वे भारत की निर्णय-क्षमता को पूर्वापेक्षित क्यों मान रहे हैं।

इस घटना के राजनयिक और व्यापारिक आयाम भी हैं। अमेरिका ने हाल ही में भारत पर उन देशों में से एक के रूप में भारी व्यापारिक टैरिफ लगाए हैं जो रूस से ऊर्जा आयात करते हैं। शशि थरूर ने इसे “दोहरे मानदंड” का मामला बताया है और कहा है कि चीन या अन्य देश जिनका रूस से आयात अधिक है, उन्हें समान तरह की कार्रवाई का सामना नहीं करना पड़ा।

शशि थरूर का संदेश: भारत अपनी घोषणाएँ खुद करेगा, किसी और के ज़रिए नहीं


शशि थरूर ने यह स्पष्ट किया कि भारत अपनी ऊर्जा-नीति तय करते समय उपभोक्ता हित, कीमत-स्थिरता और आपूर्ति की निरंतरता को सर्वोपरि रखेगा। किसी बाहरी शक्ति द्वारा उन नीतियों को मार्गदर्शित नहीं किया जाएगा।

भारत-यू.एस. संबंधों में यह घटनाक्रम इस बात का संकेत है कि ऊर्जा, व्यापार व रक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग के बावजूद, भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता पर टिके रहने को तैयार है। शशि थरूर का यह संदेश स्पष्ट था — “हम अपनी घोषणाएँ खुद करेंगे, किसी और की ओर से नहीं।”

इस सारे प्रसंग में यह भी ध्यान देने योग्य है कि विदेश नीति में संतुलन बनाए रखना आसान नहीं है। भारत को रूस, अमेरिका और अन्य साझेदारों के बीच अपनी पहचान व हितों को सुरक्षित रखना है। शशि थरूर के बयान ने इस चुनौती को खुलकर उजागर किया है कि देश को केवल एक-पक्षीय दबाव स्वीकार नहीं करना चाहिए।

समग्र रूप में, शशि थरूर की आलोचना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब उस स्थिति में नहीं है कि उसे किसी दूसरे देश द्वारा उसके फैसलों का ‘घोषक’ बनाया जाए। यह एक प्रकार से भारत के विदेश नीति में बढ़ती स्वायत्तता और रणनीतिक आत्मविश्वास का प्रतीक माना जा सकता है।

इस तरह, शशि थरूर का यह बयान सिर्फ एक राजनीतिक विवाद नहीं बल्कि एक वैश्विक संदर्भ के भीतर भारत की भूमिका और उसके निर्णय-प्रक्रिया पर एक मजबूत रुख है। आने वाले समय में यह देखना होगा कि इस बयान के अनुरूप भारत कैसे अपने ऊर्जा आयात व व्यापारिक संबंधों को संतुलित करता है और कैसे वह अपनी निर्णय-क्षमता को सार्वजनीक रूप से प्रदर्शित करता है।