भारत के आगामी विधानसभा चुनावों में राजनीतिक गति को शीर्ष पर ले जाते हुए नरेन्द्र मोदी ने आज (24 अक्टूबर 2025) बिहार के समस्तीपुर जिले के उस गाँव से अपने चुनावी अभियान का आगाज किया जहाँ कर्पूरी ठाकुर की पैतृक ज़मीन है। इसके माध्यम से मोदी ने स्पष्ट संदेश दिया कि विकास, सुशासन और सामाजिक न्याय-का-त्रिवेणी ही इस चुनाव में उनकी रणनीति का मूल होगा। गाँव-सभा के बाद बेगूसराय में दूसरे रैली की रूपरेखा है, जो एनडीए की नीतियों को सुनने-समझने और वोट बैंक को सक्रिय करने का अवसर बनाएगी।
कर्पूरी ठाकुर की जन्मभूमि से उठा एनडीए का संदेश
समस्तीपुर जिले के कर्पूरी ग्राम में आयोजित इस रैली ने राजनीतिक रूप से कई परतें उजागर की हैं। पहला यह कि कर्पूरी ठाकुर को ‘जननायक’ के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने बिहार में सामाजिक न्याय के लिए कई निर्णय लिए थे।
मोदी द्वारा उसी गाँव से अभियान का आरम्भ करना, पीछे छूटे वर्ग विशेषतः अति पिछड़ा वर्ग (EBC) और ओबीसी वोट बैंक को टारगेट करने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
इसके साथ-साथ मोदी ने लोगों से अपील की कि वो जागरूक रहें, क्योंकि आजकल लोग ‘जननायक’ जैसे सम्मानजनक उपाधियों का दुरुपयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा:
“कर्पूरी ठाकुर को ‘जननायक’ सोशल मीडिया की ट्रोल करने वाली टीम ने नहीं बनाया है. कर्पूरी ठाकुर को ‘जननायक’ बिहार के जन-जन ने बनाया है…”
यह वाक्यांश स्पष्ट तौर पर यह संकेत देता है कि मोदी इस अभियान में सामाजिक-सामाजिक चित्र को भी जीवंत रखना चाहते हैं।
कर्पूरी ठाकुर के नाम से पिछड़ों-अति पिछड़ों के बीच ‘सोशल जस्टिस’ का बंदोबस्त
जब मोदी ने इस रैली की शुरुआत कर्पूरी ग्राम से की, तो इसके पीछे सिर्फ भावनात्मक-गान नहीं, बल्कि स्पष्ट ‘सामाजिक राजनीति’ की रणनीति भी मौजूद थी। कर्पूरी ठाकੁਰ ने पिछड़ों-अति पिछड़ों के लिए आरक्षण और सुगमता का रास्ता खोला था।
अब मोदी-एनडीए उस राह को आगे ले जाना चाहती है।
उदाहरण के लिए, यहाँ यह ध्यान देने-योग्य है कि EBC श्रेणी बिहार में मतदानीय संख्या में बड़ी हिस्सेदारी रखती है।
ऐसे में इस वर्ग को निशाना बनाकर चुनावी शुरुआत करना, वोट बैंक को सक्रिय करता दिख रहा है।
मोदी ने साथ ही विकास की बात भी जोड़ी — युवाओं, शिक्षा एवं रोजगार-के मुद्दे पर। इससे यह संदेश गया कि सिर्फ पुरानी विरासत-की बात नहीं होगी बल्कि आधुनिक एजेंडा भी रहेगा।
कर्पूरी ठाकुर की विरासत और बिहार में मोदी शासन-एजेंडा का गठजोड़
कर्पूरी ठाकुर की सोच और कार्यों को आज फिर पुनर्स्थापित करने की कोशिश प्रचार में दिखाई दे रही है। इस मौके पर मोदी ने कहा कि शिक्षा-संस्थान, कौशल-विकास और पिछड़ों-की उन्नति पर केन्द्र सरकार लगातार कार्य कर रही है। वहीं दूसरी ओर, उन्होंने विपक्षी महागठबंधन को ‘जंगलराज’ की ओर वापस जाने वाला बताया और बिहार में सुशासन के पक्ष में मतदान का आह्वान किया।
इस पूरी पहल से यह भी संकेत जाता है कि भाजपा-जदयू नेतृत्व वाले एनडीए यह संदेश देना चाह रही है कि उनका एजेंडा सिर्फ विकास-तक नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय-की छतरी के तहत सभी वर्गों-का समावेशन है। और इस समावेशन में कर्पूरी ठाकुर का नाम और उनकी विरासत एक ताकतवर प्रतीक के रूप में प्रयोग हो रही है।