Article

दिवाली के बाद भी दिल्ली में दमघोंटू धुंध कायम, प्रदूषण स्तर बेहद खतरनाक

 22 Oct 2025

दिवाली के बाद भी दिल्ली में दमघोंटू धुंध कायम

दिवाली के तीन दिन बाद भी दिल्ली की हवा में सुधार के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं। शहर पर धुंध की मोटी चादर छाई हुई है, जिससे आमजन को सांस लेने में गंभीर परेशानी हो रही है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) कई इलाकों में 350 से ऊपर दर्ज किया गया है, जो “बहुत खराब” श्रेणी में आता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति पटाखों के अत्यधिक प्रयोग, पराली जलाने और मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण उत्पन्न हुई है।

हवा को जहरीला बना दिया
दिवाली के दौरान दिल्ली में भारी मात्रा में पटाखों का प्रयोग किया गया, जिससे हवा में प्रदूषक तत्वों की मात्रा अचानक बढ़ गई। इसके साथ ही, हरियाणा और पंजाब जैसे पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं ने दिल्ली की वायु गुणवत्ता को और अधिक बिगाड़ दिया। मौसम की स्थिरता और हवा की गति कम होने के कारण ये प्रदूषक तत्व वातावरण में ही बने रहे और शहर की हवा को जहरीला बना दिया।

दिल्ली के प्रमुख इलाकों जैसे आनंद विहार, आईटीओ, पटपड़गंज और रोहिणी में AQI 350 से ऊपर दर्ज किया गया है। रविवार को आनंद विहार में पीएम 2.5 का स्तर 1618 और पीएम 10 का स्तर 1817 तक पहुँच गया, जो सामान्य से कई गुना अधिक है। डॉक्टरों के अनुसार, इतने उच्च स्तर पर 24 घंटे रहना 50 से अधिक सिगरेट पीने के बराबर है। फिजिशियन डॉ. सुरेंद्र दत्ता बताते हैं कि यदि पीएम 2.5 का स्तर 500 से 1000 के बीच है, तो यह रोजाना 20 से 40 सिगरेट पीने के बराबर नुकसान पहुंचाता है। ऐसे में दिल्ली में अब कोई "नॉन-स्मोकर' नहीं रह गया है जो सिगरेट नहीं पीते हैं, वे भी उतने ही खतरे में हैं जितने कि नियमित स्मोकर।

गुड़गांव के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. हिमांशु गर्ग ने चेतावनी दी है कि यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो अगले एक दशक में दिल्ली-एनसीआर में फेफड़ों के कैंसर के मामले अप्रत्याशित रूप से बढ़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदूषण का यह स्तर जन स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है और इससे बच्चों, बुजुर्गों और सांस की बीमारी से पीड़ित लोगों को विशेष रूप से खतरा है।

क्लाइमेट ट्रेंड्स की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 की दिवाली पर दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर अब तक के सबसे ऊँचे स्तर पर रहा। दिवाली से एक दिन पहले यह 156.6 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था, जो दिवाली के दिन 233.5 और अगले दिन 488 तक पहुँच गया। दिवाली की रात को यह अधिकतम 675 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया। यह पिछले साल की तुलना में 212% अधिक है। 2023 में यह क्रमशः 92.9, 145.5 और 319.7 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था।

सरकारी एजेंसियों ने नागरिकों को सुबह और शाम के समय बाहर निकलने से बचने की सलाह दी है, साथ ही मास्क पहनने और घर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करने की सिफारिश की गई है। दिल्ली सरकार ने निर्माण कार्यों पर रोक, पानी का छिड़काव और एंटी-स्मॉग गन जैसे उपाय लागू किए हैं। इसके बावजूद विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक पराली जलाने पर सख्त नियंत्रण नहीं होगा और पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगेगा, तब तक स्थिति में सुधार संभव नहीं है।

पर्यावरणविदों ने चेतावनी दी है कि यदि यही स्थिति बनी रही, तो दिल्लीवासियों को दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। सोशल मीडिया पर भी नागरिकों ने प्रदूषण को लेकर नाराजगी जाहिर की है और सरकार से तत्काल और ठोस कार्रवाई की मांग की है। दिल्ली की जहरीली हवा न केवल स्वास्थ्य के लिए खतरा है, बल्कि यह शहर की छवि को भी प्रभावित कर रही है। ऐसे में जरूरी है कि सरकार, नागरिक और उद्योग सभी मिलकर प्रदूषण के खिलाफ एकजुट होकर काम करें। स्थायी समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाना अब समय की मांग है।