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दिवाली के बाद दिल्ली की हवा हुई और खराब | दिल्ली AQI रिपोर्ट
22 Oct 2025
दिवाली के बाद दिल्ली की वायु गुणवत्ता फिर से खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। एक नई दिल्ली AQI रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में इस साल 77% की कमी आई है, फिर भी दिल्ली का प्रदूषण स्तर बढ़ गया। इससे साफ़ है कि दिल्ली की हवा ज़हरीली बनने के पीछे सिर्फ पराली नहीं, बल्कि अन्य स्थानीय कारण भी अहम भूमिका निभा रहे हैं।
रिपोर्ट में सामने आए अहम तथ्य
सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) और काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (CEEW) की संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया है कि 2025 में पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में 77% गिरावट आई है।
फिर भी दिल्ली AQI रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली की हवा में PM2.5 और PM10 के स्तर में दिवाली के बाद बड़ा इज़ाफ़ा देखा गया। रिपोर्ट में बताया गया कि इस साल पराली जलाने से उत्पन्न प्रदूषण का हिस्सा दिल्ली के कुल वायु प्रदूषण में केवल 12-15% ही रहा। बाकी प्रदूषण स्थानीय स्रोतों से आया, जैसे—
- पटाखों का धुआं
- वाहनों का उत्सर्जन
- निर्माण कार्य
- औद्योगिक गतिविधियाँ
- मौसम की स्थिति (हवा का ठहराव और नमी)
पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने में सुधार
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि पंजाब और हरियाणा सरकारों ने इस वर्ष पराली प्रबंधन के लिए कई प्रभावी कदम उठाए हैं। पंजाब में किसानों को पराली न जलाने के लिए वित्तीय सहायता और मशीनरी उपलब्ध कराई गई, जबकि हरियाणा में ‘पराली खरीद नीति’ लागू की गई। इससे खेतों में पराली जलाने के मामलों में उल्लेखनीय कमी आई। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में स्थानीय उत्सर्जन स्रोतों पर नियंत्रण नहीं होगा, तब तक वायु गुणवत्ता में स्थायी सुधार नहीं हो सकता।
दिवाली पर पटाखों से बढ़ा जहरीला धुआं
दिल्ली AQI रिपोर्ट बताती है कि दिवाली के दिन और उसके अगले 24 घंटों में दिल्ली में पटाखों के धुएं से प्रदूषण स्तर लगभग तीन गुना बढ़ गया। दिल्ली के कई इलाकों में AQI 450 से ऊपर दर्ज किया गया, जो “गंभीर श्रेणी” में आता है। वायु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, नोएडा, गाज़ियाबाद और गुरुग्राम जैसे क्षेत्रों में भी हवा की गुणवत्ता अत्यधिक खराब रही।
विशेषज्ञों ने बताए समाधान
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए स्रोत-आधारित निगरानी प्रणाली, स्वच्छ ईंधन नीति, और स्मॉग टावरों का बेहतर रखरखाव जरूरी है। साथ ही, पटाखों पर कड़े प्रतिबंध और वैकल्पिक उत्सव उपायों को बढ़ावा देने की जरूरत है।
निष्कर्ष
पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने में कमी एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन दिल्ली AQI रिपोर्ट साफ़ दिखाती है कि दिल्ली की हवा में सुधार के लिए यह पर्याप्त नहीं है। जब तक स्थानीय प्रदूषण स्रोतों पर सख्त कार्रवाई नहीं होगी, तब तक राजधानी की हवा दिवाली जैसे अवसरों पर “ज़हरीली” बनी रहेगी।
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