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राहुल गांधी ने लालू यादव को फोन कर बिहार सीट बंटवारे पर गतिरोध सुलझाने की कोशिश की

 16 Oct 2025

बातचीत की पृष्ठभूमि और गठबंधन की जटिलताएँ


लोकप्रिय सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बिहार सीट बंटवारे पर गतिरोध को सुलझाने के लिए RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को फोन किया है। यह कदम महागठबंधन (INDIA / महागठबंधन) के भीतर कांग्रेस और RJD के बीच सीटों के बंटवारे पर गहरे मतभेदों के कारण उठाया गया है।

मिली जानकारी के अनुसार, कांग्रेस अभी भी 60 से अधिक सीटों की मांग पर अड़ी हुई है, जबकि RJD उसकी मांग को कम आंक रहा है। इनमें से कई सीटें—जैसे कि Kahalgaon, Narkatiaganj, Bachhwara —पर विशेष जोर है, जिनको लेकर deadlock गहरा गया है।

कांग्रेस व RJD के बीच झूठते दायरे: गतिरोध की असल वजह


बिहार सीट बंटवारे पर गतिरोध की जड़ में दोनों दलों की आकांक्षाएँ और राजनीतिक समीकरण हैं। कांग्रेस मान रही है कि पिछले चुनाव में वे 70 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और बेहतर प्रदर्शन किया था — इसलिए इस बार उन्हें 60 से अधिक सीटें मिलनी चाहिए। दूसरी ओर, RJD इस बात पर बल दे रहा है कि कांग्रेस को बहुत अधिक सीट देना गठबंधन को असंतुलित कर सकता है।

साथ ही, VIP (विकासशील इंसान पार्टी) और वामपंथी दलों की सीट मांगें भी इस गतिरोध को जटिल बना रही हैं। स्थानीय सूत्रों का यह भी कहना है कि यदि deadlock देर तक बना रहेगा, तो गठबंधन को बाहरी दबावों का सामना करना पड़ सकता है — जैसे कि प्रत्याशी घोषित न हो पाना, चुनावी तैयारियों में देरी, और जनता में भ्रम की स्थिति।

आगे की रणनीति और संभावित समझौता


इसबिहार सीट बंटवारे पर गतिरोध को हल करने के लिए कांग्रेस और RJD के बीच उच्च स्तरीय रणनीतिक वार्ता की योजना बनाई जा रही है। संभावना है कि राहुल गांधी और लालू यादव के इस फोन कॉल को शुरुआती कदम माना जाए, जिसके बाद सीधे आमने‑सामने की बैठक हो सकती है।

कुछ रिपोर्टों के अनुसार, कांग्रेस ने 78 सीटों की मांग की थी, जबकि RJD ने 48 सीटों की पेशकश की — जिसके बीच ~55 सीटों का एक मध्य बिंदु प्रस्तावित हो सकता है। VIP की मांगों को देखते हुए, गठबंधन को सीटों का अल्पानुमानित पुनर्विनियोजन करना पड़ सकता है ताकि गतिरोध टूटे। समय तेजी से आगे बढ़ रहा है क्योंकि बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखें नजदीक हैं (6 और 11 नवंबर 2025)। यदि बिहार सीट बंटवारे पर गतिरोध जल्द नहीं सुलझा, तो महागठबंधन को चुनावी बिगड़ने और क्षेत्रीय असमंजस का सामना करना पड़ सकता है।