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पाकिस्तान-सऊदी डिफेंस डील और चाबहार पर अमेरिकी वार

 19 Sep 2025

पाकिस्तान-सऊदी डिफेंस डील: 

भारत के लिए नया सिरदर्द पाकिस्तान, जो अक्सर IMF, चीन और खाड़ी देशों से मदद मांगता है, अब सऊदी अरब के साथ पारस्परिक सुरक्षा समझौते पर पहुंच गया है। समझौते में लिखा है—अगर पाकिस्तान पर हमला हुआ तो सऊदी उसे अपने ऊपर हमला मानेगा और उलटा भी। भले ही सऊदी अपनी फौज पाकिस्तान भेजे, ये तय नहीं, लेकिन उसके पैसों से पाकिस्तान की सेना को हथियार, ट्रेनिंग और टेक्नोलॉजी मिलेगी। नतीजा—पाकिस्तान की मिलिट्री मजबूत होगी और इसका सीधा असर भारत पर पड़ेगा।

चाबहार पर अमेरिकी वार 

इधर अमेरिका ने 29 सितंबर से ईरान के चाबहार पोर्ट के “संचालकों” पर प्रतिबंध का ऐलान कर दिया। नाम भले ही अलग हो, निशाना भारत है। चाबहार भारत की दशकों की रणनीति का अहम हिस्सा था—पाकिस्तान को बायपास कर अफगानिस्तान, मध्य एशिया और यूरोप तक पहुंचने का गेटवे। अरबों का निवेश और 10 साल का कॉन्ट्रैक्ट अब खतरे में है। इसका फायदा सीधा चीन और पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट को मिलेगा।

भारत का कमजोर पड़ता असर 

अमेरिका की नीतियों से चीन ने सबसे सस्ता ईरानी तेल खरीदा और अपनी ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाई। भारत ईरान से तेल बंद कर चुका है और स्ट्रैटेजिक भरोसा भी खो बैठा। अब हालात ये हैं कि पाकिस्तान को सऊदी का समर्थन है, चीन पहले से साथ है और अमेरिका भी भारत पर दबाव बना रहा है। ऐसे में भारत सरकार का फोकस विदेश नीति से ज़्यादा ब्रांडिंग पर है। स्कूलों में प्रधानमंत्री मोदी पर बनी फिल्म चलो जीते हैं दिखाने का आदेश दिया गया है, जिसे “प्रेरणा प्रोग्राम” के नाम पर चलाया जा रहा है। गणित, विज्ञान या अंतरराष्ट्रीय राजनीति सिखाने के बजाय बच्चों को नेता की कहानी बताई जा रही है।

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