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हम कभी बंट गए थे लेकिन मोहन भागवत कहते हैं: “वह भी मिला लेंगे” — एकता का नया पैगाम

 17 Sep 2025

मोहन भागवत का बयान क्या है


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में इंदौर में एक पुस्तक विमोचन समारोह के दौरान बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि “हम कभी बंट गए थे लेकिन वह भी मिला लेंगे।” उन्होंने यह बात ब्रिटेन के संदर्भ में कही। मोहन भागवत ने कहा कि इंग्लैंड (ब्रिटेन) आज खुद विभाजन की कगार पर है, लेकिन भारत उस रास्ते पर नहीं चलेगा।

उन्होंने पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल का उदाहरण देते हुए बताया कि चर्चिल ने कहा था कि आज़ादी मिल जाने के बाद भारत टिक नहीं पाएगा, बंट जाएगा। लेकिन इतिहास ने साबित किया कि भारत ने वह भविष्यवाणी गलत कर दी।

सहमति और एकता का संदेश


मोहन भागवत इस बयान से एकता का संदेश देना चाहते हैं। उनका कहना है कि विभाजन होना स्वाभाविक हो सकता है, लोग अलग-अलग विचार रख सकते हैं, लेकिन फिर से मिलकर आगे बढ़ना ज़रूरी है।

उन्होंने यह भी कहा कि निजी स्वार्थों की वजह से दुनिया में टकराव बढ़े हैं। जब हर कोई सिर्फ अपने हित की बात करता है, तो समाज टुकड़ों में विभाजित हो जाता है। मोहन भागवत ने इसे ख़तरनाक बताया। उनका यह मानना है कि भारत का इतिहास इस तरह के संकटों से भरा हुआ है, लेकिन साथ ही यह भी है कि भारत ने सदैव कठिनाईयों में भी अपनी एकता बनाए रखी है।

इसका महत्व और आने वाले समय की चुनौतियाँ


इस तरह का बयान इस समय इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि कई देशों में सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक मतभेद बढ़ रहे हैं। मोहन भागवत यह संकेत देना चाहते हैं कि भारत को उन चुनौतियों से सीख लेनी चाहिए। भविष्य में यह देखना होगा कि भारत किस तरह से अपने लोगों के बीच विश्वास और आपसी सम्मान बनाए रखता है। अगर यह रेखाएँ टूटने लगीं, तो विभाजन की आशंका हो सकती है — पर मोहन भागवत ने साफ कहा है कि भारत वह नहीं होने देगा।

इसके अलावा, सोशल मीडिया और राजनीतिक बहसों में विभाजन और कटुता का असर ज़्यादा देखने को मिल रहा है। ऐसे हालात में मोहन भागवत का यह कहना कि “वह भी मिला लेंगे” एक सकारात्मक सोच है, यह याद दिलाता है कि मुश्किलों के बावजूद इंसान को एक-दूसरे से जुड़ा रहने की कोशिश करनी चाहिए।