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तेजस्वी यादव की यात्रा: 66 सीटों और 50‑50 की लड़ाई का राजनीतिक ताना‑बाना

 16 Sep 2025

बिहार विधानसभा चुनाव के ठीक पहले, तेजस्वी यादव ने आरजेडी द्वारा आयोजित ‘बिहार अधिकार यात्रा’ की घोषणा कर सियासी पिच को गरमा दिया है। यह यात्रा 16 से 20 सितंबर 2025 तक चलेगी और इसमें 10 जिलों की 66 विधानसभा सीटों पर फोकस होगा। ये 66 सीटें कुल विधानसभा की 243‑244 सीटों का करीब 27‑28% हैं। पिछले चुनावों में, इन सीटों में महागठबंधन व एनडीए के बीच टक्कर लगभग बराबरी की रही थी — कुछ जिलों में महागठबंधन ने कुछ बढ़त बनाई थी, कुछ में एनडीए सामर्थ्य दिखा था।


 यात्रा, रोड शो, जन संवाद और रैलियों के माध्यम से तेजस्वी यादव की रणनीति स्पष्ट है: कांग्रेस‑महागठबंधन के अंदर काम तो होगा, लेकिन मुख्य फोकस जनता में प्रत्यक्ष उपस्थिति, झूठे वादों का विरोध और स्थानीय मुद्दों को जोर देने का है। इस यात्रा के रूटमैप में राजनीतिक संतुलन, जातीय समीकरण और गठबंधन की मजबूती पर ध्यान दिया गया है, ताकि तेजस्वी यादव के पक्ष में जनसमर्थन को मजबूत किया जा सके।

यात्रा का भूगोल और सीट‑मापन रणनीति


‘बिहार अधिकार यात्रा’ का मार्ग 10 जिलों से होकर गुज़रता है: जहानाबाद से शुरू करते हुए नालंदा, पटना, बेगूसराय, खगड़िया, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, समस्तीपुर और वैशाली तक।

इससे यह संकेत मिलता है कि तेजस्वी यादव उन इलाकों को चुने हैं जहां जीत की संभावना संतुलित है — न कि सिर्फ मजबूत गढ़ों में, जो सुरक्षित हो। स्थानीय मतदाता बदलाव या झुकाव दिखा सकते हैं अगर जनसंपर्क एवं मुद्दा‑वादनी अच्छी हो। इस तरह का भूगोल यात्रा को सिर्फ प्रचार का माध्यम नहीं बल्कि चुनावी संग्रहण का ज़रिया बनाता है।

सीट शेयरिंग, गठबंधन दबाव और कांग्रेस‑मुक़ाबला


यात्रा का प्लान तभी पूरा हो सका है जब महागठबंधन में सीट‑वंटन की स्थिति या कम‑से‑कम उम्मीदें संतोषजनक हों। खबरें बताती हैं कि कांग्रेस ने करीब 66 सीटों की मांग की है महागठबंधन में, जबकि आरजेडी अपेक्षाएँ अधिक रख रही है।

तेजस्वी यादव के लिए यह एक संतुलन बनाने की कोशिश है: कांग्रेस को पर्याप्त हिस्सेदारी देना, लेकिन यह सुनिश्चित करना कि आरजेडी स्वयं मजबूत स्थिति में रहे। सीट बँटवारे का पेच यात्रा के रूटमैप को प्रभावित कर रहा है; कार्यक्रम, जनसभा की जगहों का चुनाव, समय‑समय पर यात्राओं की शुरुआत और समाप्ति इसी संतुलन को ध्यान में रखते हुए तय किया जा रहा है।

इस बात से अनुमान लगाया जा सकता है कि तेजस्वी यादव चाहते हैं कि महागठबंधन के अन्य दलों के बीच संतुलन हो, ताकि एनडीए के चुनावी हमले से बचाव हो सके और इस्तीफ़े‑बदलाव की संभावना कम हो।

संदेश, जातीय‑सांस्कृतिक गणित और चुनावी मनोविज्ञान


यात्रा की रूप‑रेखा सिर्फ सीटों की लड़ाई नहीं है; इसमें संदेश और सांस्कृतिक‑जातीय गणित की भी गहरी रणनीति शामिल है। तेजस्वी यादव अपनी यात्रा में उन जिलों को शामिल कर रहे हैं जहाँ यादव, भूमिहार, अतिपिछड़ी जातियाँ महत्वपूर्ण हैं और जहाँ प्रदेश सरकार या एनडीए की छवि कमजोर हो सकती है।

साथ ही, जनता से प्रत्यक्ष संवाद, “अधिकार” की बात, भ्रष्टाचार, कानून‑व्यवस्था, स्थानीय विकास, रोजगार जैसे मुद्दे यात्रा के मुख्य विषय होंगे। ये विषय उन इलाकों में असरदार हो सकते हैं जहाँ चुनाव जीत‑हार का अंतर मामूली रहा है। तेजस्वी यादव इस यात्रा द्वारा यह दिखाना चाहते हैं कि महागठबंधन सिर्फ विरोधी राजनीति नहीं, बल्कि जनता के दैनिक जीवन के सवालों का जवाब देने वाला गठबंधन है। यात्रा के सांस्कृतिक कार्यक्रम, स्थानीय नेतृत्व से संबद्धता, भाषणों में स्थानीय बोली‑भाषा‑संवाद, सब मिलकर यह संकेत देते हैं कि तेजस्वी यादव जनता के बीच “पहुंचने वाले नेता” के रूप में खुद को स्थापित करना चाह रहे हैं।