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'वोट चोरी जैसे गंदे शब्द इस्तेमाल न करें', EC ने कहा‑ राहुल गांधी 73 साल पुराना कानून याद रखें

 14 Aug 2025

EC का कड़ा संदेश राहुल गांधी को: “अगर सबूत है तो पेश करें, वरना ऐसे शब्दों से बचें”


चुनाव आयोग ने हाल ही में राहुल गांधी द्वारा लगे विवादित आरोपों का कड़ा तरीके से पलटकांग्रेस नेता वार किया है। राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि कर्नाटक और महाराष्ट्र के चुनाव में बड़े पैमाने पर “वोट चोरी” हुई है और उनके पास इसके “100 % ठोस सबूत” हैं। इस पर चुनाव आयोग ने स्पष्ट संकेत दिया कि बिना प्रमाण के “वोट चोरी” जैसे गंदे और भ्रामक शब्दों का इस्तेमाल करना न केवल चुनाव आयोग के फैसले की विश्वसनीयता को चोट पहुंचाता है, बल्कि करोड़ों नागरिकों और चुनाव कर्मचारियों की ईमानदारी पर भी सवाल खड़े करता है।

आयोग ने याद दिलाया कि देश में 1951–52 के चुनावों से ही एक व्यक्ति‑एक वोट का सिद्धांत लागू है, और इसे अब तक पूरी ईमानदारी से अपनाया गया है। उसने राहुल गांधी से सख्त संदेश दिया है: अगर आपके पास अवैध वोटिंग या दोहरी वोटिंग जैसे किसी मामले के प्रमाण हैं, तो उन्हें शपथ‑पत्र के साथ आयोग के पास जमा करें। नहीं तो, उद्देश्यपूर्ण आरोप लगाना लोकतंत्र की नींव को कमजोर करना है।

चुनाव आयोग की चुनौती राहुल गांधी को—“प्रमाण दो या माफी दो”


चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को दो रास्ते दिए हैं—या तो वे अपने सभी दावों को शपथ-पत्र के साथ पेश करें, या फिर देश और आयोग से माफी मांगे। विशेष रूप से कर्नाटक के महादेवपुरा क्षेत्र में वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का आरोप लगाने पर, आयोग ने कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) के ज़रिए राहुल गांधी से दस्तावेजों के समर्थन में प्रतिक्रिया मांगी है।

आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसे गैर-जिम्मेदाराना और निराधार बयान चुनाव आयोग को रोजाना मिलते रहते हैं, और वह अपने चुनाव कर्मचारियों से अपील करता है कि वे इनसे प्रभावित न हों और अपना काम निष्पक्ष रूप से जारी रखें। आयोग ने यह भी कहा कि शपथ-पत्र की मांग असंगत नहीं है — यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया में पारदर्शिता देने वाला एक कानूनी उपाय है, जो कहीं पहले, जैसे 2018 कमलनाथ मामले में भी अमल में आया था।