केंद्र सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में इनकम टैक्स बिल, 2025 वापस ले लिया। बिहार में वोटर लिस्ट SIR के मुद्दे पर विपक्षी दलों के हंगामे के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रवर समिति की रिपोर्ट के आधार पर विधेयक वापस लेने की अनुमति मांगी, जिसे सदन ने मंजूरी दे दी।
सरकार ने यह विधेयक 13 फरवरी 2025 को पेश किया था, जिसका उद्देश्य आयकर अधिनियम, 1961 को बदलना था। इसे अध्ययन के लिए लोकसभा की प्रवर समिति को भेजा गया था। समिति की रिपोर्ट 21 जुलाई 2025 को सदन में पेश हुई थी।
सूत्रों के अनुसार, बिल का संशोधित और अपडेटेड संस्करण 11 अगस्त को लोकसभा में रखा जाएगा, जिसमें समिति की ज्यादातर सिफारिशें शामिल होंगी। सरकार चाहती है कि अलग-अलग संस्करणों के चलते उत्पन्न भ्रम से बचा जाए और सभी बदलावों को एक ही स्पष्ट ड्राफ्ट में पेश किया जाए।
इनकम टैक्स बिल लिया गया वापस
बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली 31 सदस्यीय प्रवर समिति ने बिल में कई बदलाव सुझाए। इनमें शामिल हैं, धार्मिक और चैरिटेबल ट्रस्टों को दिए गए गुमनाम दान पर कर छूट बनाए रखना।
करदाताओं को ITR की अंतिम तारीख के बाद भी बिना किसी शुल्क के TDS रिफंड का दावा करने की अनुमति देना। प्रस्तावित कानून में गैर-लाभकारी संगठनों (NPOs) को विशुद्ध रूप से धार्मिक ट्रस्टों द्वारा प्राप्त गुमनाम दान पर टैक्स से छूट दी गई है। हालांकि, यदि कोई धार्मिक ट्रस्ट अस्पताल, स्कूल या अन्य चैरिटेबल गतिविधियों के साथ-साथ दान प्राप्त करता है, तो उस दान पर टैक्स लगाया जाएगा।
आयकर विधेयक, 2025, भारत के मौजूदा आयकर अधिनियम, 1961 को प्रतिस्थापित करने के उद्देश्य से तैयार किया गया था। 1961 का यह कानून पिछले छह दशकों से देश की प्रत्यक्ष कर व्यवस्था की रीढ़ बना हुआ है। सरकार की योजना थी कि नए विधेयक के माध्यम से कर ढांचे को अधिक आधुनिक, पारदर्शी और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाया जाए।
विधेयक के प्रमुख उद्देश्य
इस विधेयक का मुख्य लक्ष्य कर नियमों को सरल और स्पष्ट बनाना था, ताकि अनुपालन आसान हो सके। साथ ही, कर विवादों और मुकदमों की संख्या कम करने और डिजिटल अर्थव्यवस्था के अनुरूप एक प्रभावी कर प्रणाली स्थापित करने का भी प्रावधान इसमें किया गया था।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि आयकर विधेयक को वापस लेना सुधार प्रक्रिया को रोकना नहीं, बल्कि इसे और अधिक व्यावहारिक और प्रभावी बनाने की रणनीति है। चयन समिति द्वारा दिए गए सुझावों को सार्थक रूप से शामिल करने के लिए मौजूदा मसौदे को फिलहाल वापस लिया गया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि समिति के सुझाव न केवल निर्माणात्मक बल्कि जरूरी भी हैं। इन्हीं सिफारिशों के आधार पर अब विधेयक का संशोधित और अद्यतन संस्करण तैयार किया जाएगा, जिसे जल्द ही लोकसभा में फिर से पेश किया जाएगा।