कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने मंगलवार को केंद्र की विदेश नीति को आड़े हाथों लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ‘विशेष रिश्ते’ पर तीखा तंज कसा। उन्होंने आरोप लगाया कि इस दोस्ती की राजनीतिक कीमत अब भारत को चुकानी पड़ रही है।
रमेश की यह टिप्पणी उस राजनयिक तनाव की पृष्ठभूमि में आई है जो अमेरिका द्वारा भारत की रूसी तेल खरीद पर आपत्ति और टैरिफ की धमकी के बाद उभरा है। कांग्रेस महासचिव ने एक प्रेस वार्ता में कहा,
“प्रधानमंत्री को भी यह गाना याद होगा – 'दोस्त दोस्त न रहा, ट्रंप यार हमें तेरा ऐतबार न रहा।’ यह रिश्ता बहुत महंगा सौदा साबित हुआ है।”
जयराम रमेश ने मोदी-ट्रंप के हाई-प्रोफाइल कार्यक्रमों पर भी निशाना साधा
जयराम रमेश ने मोदी-ट्रंप रिश्तों के प्रतीक रहे हाई-प्रोफाइल कार्यक्रमों पर भी निशाना साधा। उन्होंने ‘हाउडी मोदी’ और ‘नमस्ते ट्रंप’ जैसे आयोजनों को "सिर्फ फोटो खिंचवाने के मौके" करार दिया।
उन्होंने कहा,
“यह दावा किया गया कि मोदी और ट्रंप पुराने दोस्त हैं। लेकिन नतीजा क्या हुआ? आज अमेरिका भारत पर टैरिफ बढ़ाने और तेल आयात पर सज़ा देने की धमकी दे रहा है।"।
रमेश की टिप्पणी ट्रंप के हालिया बयानों के संदर्भ में आई है, जिसमें उन्होंने भारतीय वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगाने की बात कही और चेताया कि अगर भारत रूस से तेल खरीदता रहा, तो उसे और कठोर प्रतिबंध झेलने पड़ेंगे। ट्रंप ने भारतीय अर्थव्यवस्था को "मृत" तक कह दिया और आरोप लगाया कि भारत, रूसी तेल खरीदकर, यूक्रेन में युद्ध को आर्थिक मदद दे रहा है।
भारत ने अमेरिकी रुख को "अनुचित और पाखंडी" बताते हुए कड़ा जवाब दिया है।
रमेश ने विदेश नीति को लेकर और भी गंभीर चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि भारत आज एक नए भू-राजनीतिक संकट के दौर से गुजर रहा है जहां CAP – यानी चीन, अमेरिका और पाकिस्तान – तीनों तरफ से दबाव बना रहे हैं। कांग्रेस नेता ने ट्रंप के उस दावे पर भी सवाल उठाया कि उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर युद्धविराम के लिए 32-33 बार मध्यस्थता की पेशकश की। रमेश ने पूछा, “ट्रंप सार्वजनिक मंचों पर कई बार ऐसा कह चुके हैं, लेकिन प्रधानमंत्री ने कभी इन दावों को स्पष्ट रूप से खारिज नहीं किया। क्या यह चुप्पी राजनयिक कमजोरी नहीं है?”