मंगलवार रात इज़राइल ने सीरिया की राजधानी दमिश्क पर बड़ा सैन्य हमला करते हुए रक्षा मंत्रालय और सेना मुख्यालय को ड्रोन और बम के ज़रिए निशाना बनाया। हमला इतना तीव्र था कि उमय्यद स्क्वायर समेत आसपास के इलाकों में धुएं का घना गुबार देखा गया।
इज़राइल डिफेंस फोर्स (IDF) ने इस हमले की पुष्टि करते हुए कहा कि यह कार्रवाई सीरिया से ड्रूज समुदाय पर हो रहे हमलों के जवाब में की गई है। टाइम्स ऑफ इज़राइल की रिपोर्ट के मुताबिक, इस ऑपरेशन में दो ड्रोन का इस्तेमाल किया गया और हमले के निशाने पर सीरियाई सेना की रणनीतिक संरचनाएं थीं।
क्या इज़राइल और सीरिया के बीच जंग की शुरुआत ?
दमिश्क में हुआ यह हमला तब हुआ जब इज़राइल और सीरिया के बीच ड्रूज समुदाय को लेकर कुछ शांति संकेत दिखाई दे रहे थे। सिर्फ 24 घंटे पहले ही दोनों देशों ने ड्रूज मसले पर आपसी समझौते के संकेत दिए थे। ऐसे में यह हमला सीधी जंग की आशंका को हवा देता है।
सीरियाई सेना ने बताया कि हमला उमय्यद स्क्वायर के आसपास किया गया, जहां रक्षा मंत्रालय और आर्मी हेडक्वार्टर स्थित हैं। जानमाल के नुकसान का अभी पूरा आंकलन नहीं हुआ है, लेकिन कुछ नागरिकों के मारे जाने की खबरें आ रही हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, जब यह हमला हो रहा था, उसी समय प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू तेल अवीव की एक अदालत में कतरगेट भ्रष्टाचार मामले में गवाही देने पहुंचे थे। जैसे ही दमिश्क पर हमले की जानकारी कोर्ट को मिली, सुनवाई को तत्काल स्थगित कर दिया गया। नेतन्याहू फिर सीधे वार रूम पहुंचे और सैन्य अधिकारियों के साथ आपात बैठक की।
सीरिया की मौजूदा सरकार को तुर्की और सऊदी अरब का समर्थन प्राप्त है। राष्ट्रपति बशर अल-शरा को सऊदी क्राउन प्रिंस का करीबी माना जाता है। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी अल-शरा सरकार से सीधे डील की पेशकश की थी।
ऐसे में इज़राइल का यह हमला सिर्फ सीरिया ही नहीं, सऊदी, तुर्की और अमेरिका के समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है। खासतौर पर तब जब अमेरिका ने हाल ही में दोनों देशों से सीज़फायर की अपील की थी।