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"आतंकवाद पर कोई समझौता नहीं", पहलगाम हमले पर एस.जयशंकर का सख्त संदेश

 16 Jul 2025

विदेश मंत्री एस.जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की विदेश मंत्रिपरिषद की बैठक में भाग लेने के लिए चीन पहुंचे हैं। यह दौरा कई मायनों में महत्वपूर्ण था, क्योंकि यह जून 2020 में गलवान घाटी में भारत-चीन झड़पों के बाद उनकी पहली चीन यात्रा थी। बैठक में जयशंकर ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में अप्रैल 2025 में हुए आतंकी हमले का मुद्दा प्रमुखता से उठाया और एससीओ सदस्य देशों से आतंकवाद के खिलाफ स्पष्ट और दृढ़ नीति अपनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह हमला जानबूझकर जम्मू-कश्मीर की पर्यटन अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने और धार्मिक वैमनस्य बढ़ाने के मकसद से किया गया था।


आतंकवाद के खिलाफ बिना समझौता- एस.जयशंकर

एससीओ के मंच से बोलते हुए जयशंकर ने कहा, “संगठन की स्थापना आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद से लड़ने के उद्देश्य से की गई थी। यह ज़रूरी है कि एससीओ इन मूल सिद्धांतों पर कायम रहे और आतंकवाद के मुद्दे पर कोई समझौता न करे।” उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के उस बयान की भी याद दिलाई, जिसमें पहलगाम हमले की निंदा करते हुए दोषियों को न्याय के कठघरे में लाने की बात कही गई थी।
 
इस बैठक में पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार भी मौजूद थे। जयशंकर ने उनके सामने आतंकवाद के मुद्दे को सीधे उठाया, जिससे स्पष्ट संकेत मिला कि भारत इस मामले में कोई नरमी नहीं बरतेगा। चीन को भी भारत ने स्पष्ट किया कि क्षेत्रीय सहयोग तभी संभव है जब आपसी सम्मान, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का पालन किया जाए। जयशंकर ने कहा, “हम एससीओ के अंतर्गत सहयोग को विस्तार देने के लिए तैयार हैं, लेकिन यह किसी भी हालत में संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांतों को ताक पर रखकर नहीं हो सकता।” यह टिप्पणी भारत द्वारा चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) परियोजना, विशेषकर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से गुजरने वाले चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के विरोध के संदर्भ में थी।
 
पाकिस्तान के सामने सीधे उठाया मुद्दा, चीन को भी दिया स्पष्ट संदेश

विदेश मंत्री ने क्षेत्रीय संपर्क (connectivity) के मुद्दे पर भारत का रुख दोहराते हुए कहा, "एससीओ देशों के बीच प्रभावी व्यापार और निवेश तभी संभव है जब सुरक्षित आवाजाही की व्यवस्था हो।" उन्होंने इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) को प्राथमिकता देने की बात कही, जो भारत को ईरान के रास्ते मध्य एशिया और रूस से जोड़ता है। इसके जरिए भारत पाकिस्तान के अवरोध को दरकिनार कर व्यापारिक संपर्क बढ़ाना चाहता है। जयशंकर ने कहा कि मौजूदा वैश्विक स्थिति अस्थिरता, प्रतिस्पर्धा और भू-राजनीतिक तनावों से घिरी हुई है। ऐसे समय में जब विश्व व्यवस्था में भारी उथल-पुथल है, हमें क्षेत्रीय सहयोग के नए प्रारूप गढ़ने की जरूरत है, जो आपसी विश्वास और समावेशिता पर आधारित हो।