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तुषार गांधी के अपमान पर तेजस्वी यादव ने मांगी माफ़ी, RJD ने BJP पर लगाए आरोप

 15 Jul 2025

पूर्वी चंपारण में महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी के साथ हुए कथित दुर्व्यवहार ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। अब इस मामले में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने खुलकर प्रतिक्रिया दी है। तेजस्वी यादव ने पूरे बिहारवासियों की ओर से तुषार गांधी से माफी मांगते हुए कहा, "राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और उनके विचारों के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हुए, मैं समस्त बिहारवासियों की तरफ से तुषार गांधी जी से हाथ जोड़कर क्षमा चाहता हूं। उनके समर्पण, त्याग और देश की आज़ादी में योगदान का हम सभी सम्मान करते हैं। आशा है वे हमें क्षमा करेंगे।"


इस घटना को लेकर राजद ने भाजपा पर सीधा हमला बोला है। पार्टी ने एक वीडियो साझा करते हुए आरोप लगाया कि भाजपा नेता ने सार्वजनिक रूप से तुषार गांधी का अपमान किया और उन्हें कार्यक्रम से बाहर जाने को कहा। राजद ने कहा, "बापू की कर्मभूमि चंपारण में, उनके परपोते तुषार गांधी के साथ एक भाजपाई नेता ने न केवल अभद्रता की, बल्कि स्वयं को प्रधानमंत्री की जाति से जोड़ते हुए सार्वजनिक मंच पर उनका अपमान किया। यह अत्यंत निंदनीय है।"

तुषार गांधी ने जताई नाराजगी

जानकारी के मुताबिक, तुषार गांधी 12 जुलाई से चंपारण सत्याग्रह की स्मृति में पश्चिम चंपारण से पदयात्रा पर निकले हैं। रविवार को वे तुरकौलिया स्थित ऐतिहासिक नीम के पेड़ के पास पहुंचे, जहां महात्मा गांधी ने कभी किसानों के हक में आंदोलन शुरू किया था। हालांकि, कार्यक्रम स्थल पर पहुंचते ही स्थानीय मुखिया विनय साह ने उन्हें कार्यक्रम से बाहर कर दिया। इस व्यवहार से आहत तुषार गांधी ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा, "चंपारण में लोकतंत्र की हत्या हुई है। यह सिर्फ मेरा नहीं, बल्कि महात्मा गांधी की विरासत और विचारधारा का अपमान है।"

बिहार में बदलाव की ज़रूरत

चंपारण दौरे के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने पत्रकारों से बातचीत में बिहार की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर खुलकर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि राज्य को बदलाव की सख्त जरूरत है और मौजूदा एनडीए सरकार जनता से किए वादों को निभाने में विफल रही है। तुषार गांधी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर व्यंग्य करते हुए कहा कि उन्होंने चंपारण के नाम में 'सत्याग्रह' जोड़ने का सुझाव दिया था, जिसे मुख्यमंत्री ने उस समय स्वीकार तो कर लिया, लेकिन अब भूल चुके हैं।