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एअर इंडिया क्रैश के बाद बड़ा एक्शन, DGCA ने बोइंग विमानों की फ्यूल सिस्टम जांच के दिए निर्देश

 15 Jul 2025

अहमदाबाद में 12 जून को हुए एअर इंडिया विमान हादसे की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। DGCA ने भारत में रजिस्टर्ड सभी बोइंग एयरक्राफ्ट के फ्यूल कंट्रोल स्विच की जांच अनिवार्य कर दी है। इस आदेश के तहत सभी ऑपरेटरों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके बेड़े में शामिल बोइंग विमानों में यह महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रणाली सही तरीके से कार्य कर रही है। जांच पूरी होने के बाद विस्तृत रिपोर्ट DGCA को सौंपनी होगी।


Air India के किन विमानों की जांच होगी?

यह आदेश एअर इंडिया की घटना की जांच कर रहे एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) द्वारा जारी स्पेशल एयरवर्थीनेस इन्फॉर्मेशन बुलेटिन (SAIB) के बाद आया है। SAIB में स्पष्ट रूप से बोइंग 787 और 737 विमानों के फ्यूल कंट्रोल सिस्टम पर फोकस किया गया है। भारत में कई एयरलाइंस इन मॉडलों का संचालन करती हैं, एअर इंडिया: बोइंग 787 और 777 एयर इंडिया एक्सप्रेस, अकासा एयर, स्पाइसजेट: विभिन्न प्रकार के बोइंग 737 विमान हालांकि एअर इंडिया के बेड़े में बोइंग 777 विमान भी शामिल हैं, लेकिन SAIB में 777 मॉडल का उल्लेख नहीं किया गया है। इसलिए ये विमान इस विशेष जांच के दायरे में नहीं आएंगे।

 अहमदाबाद विमान हादसे की वजह क्या थी?

AAIB की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, अहमदाबाद में क्रैश हुए विमान के दोनों इंजनों को उड़ान भरने के तुरंत बाद ईंधन की आपूर्ति रुक जाने के कारण बंद हो जाना पड़ा। रिपोर्ट में कहा गया कि विमान के दोनों फ्यूल कंट्रोल स्विच रन से कटऑफ पोजीशन में अचानक चले गए, जिससे फ्यूल फ्लो रुक गया और इंजन बंद हो गए। इससे विमान को उड़ान के कुछ ही सेकंड बाद आपात स्थिति का सामना करना पड़ा और वह रिहायशी इलाके में गिर गया, जिसमें 260 लोगों की मौत हुई।

क्या होता है फ्यूल कंट्रोल स्विच?

फ्यूल कंट्रोल स्विच, जैसा कि नाम से स्पष्ट है, विमान के इंजन में ईंधन की आपूर्ति को नियंत्रित करने के लिए उपयोग होता है। हर इंजन के लिए एक अलग स्विच होता है, और इन्हें रन (चालू) और कटऑफ (बंद) की स्थिति में लाने के लिए विशेष लॉकिंग मैकेनिज्म के तहत कार्य किया जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ये स्विच आकस्मिक रूप से या खुद-ब-खुद मूव नहीं करते क्योंकि इन्हें स्प्रिंग-लोडेड ब्रैकेट्स से सुरक्षित किया गया होता है। उन्हें स्थानांतरित करने के लिए पायलट को पहले स्विच को ऊपर उठाना होता है और फिर इसे मनचाही स्थिति में ले जाया जा सकता है। यही कारण है कि जांच एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि क्या यह हादसा किसी सिस्टम फेल्योर, मानवीय त्रुटि या किसी और कारण से हुआ।