बिहार में निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सत्यापन को लेकर जारी की गई नई नियमावली के खिलाफ महागठबंधन ने बुड़वार को राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया। इसे लेकर पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। राजधानी पटना में राजद नेता तेजस्वी यादव, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और भाकपा (माले) महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने सड़क पर उतरकर प्रदर्शन का नेतृत्व किया।
राज्य के अन्य हिस्सों में राजद, कांग्रेस और वामपंथी दलों के कार्यकर्ताओं ने कई स्थानों पर रेल सेवाएं बाधित कीं और राष्ट्रीय राजमार्गों को जाम किया। विरोध का प्रमुख मुद्दा निर्वाचन आयोग द्वारा जारी वह निर्देश है, जिसमें मतदाताओं से पहचान सत्यापन के लिए कई दस्तावेज मांगे गए हैं।
बंद के दौरान तेजस्वी यादव ने निर्वाचन आयोग और केंद्र सरकार पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा,
“चुनाव आयोग अब एक स्वतंत्र संस्था नहीं, बल्कि एक राजनीतिक दल का हिस्सा बन गया है। क्या गुजरात के दो लोग तय करेंगे कि बिहार में कौन वोटर रहेगा और कौन नहीं?”
तेजस्वी ने आरोप लगाया कि गरीब और वंचित वर्ग के नाम मतदाता सूची से योजनाबद्ध ढंग से हटाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा,
“पहले नाम हटाए जाएंगे, फिर उनका राशन, पेंशन और बाकी सुविधाएं भी छीनी जाएंगी।”
राज्य में हाल के दिनों में बढ़ी आपराधिक घटनाओं का हवाला देते हुए तेजस्वी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा,
“बिहार में कानून-व्यवस्था नाम की चीज नहीं बची। नीतीश कुमार अचेत अवस्था में हैं, उन्हें कुछ बोलने नहीं दिया जा रहा। उन्हें हाईजैक कर लिया गया है। देखिए चुनाव के बाद NDA के लोग उनके साथ क्या करते हैं।”
कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद ने कहा कि बिहार बंद को जनता का पूरा समर्थन मिल रहा है। उन्होंने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर मिलीभगत का आरोप लगाया।
“जो लोग 2024 में वोट कर चुके हैं, क्या उनका मत वैध नहीं था? यदि इस तर्क को मान लिया जाए तो मौजूदा सरकार की वैधता पर भी सवाल खड़ा हो जाएगा।”
दरअसल चुनाव आयोग ने बिहार चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण के दौरान मतदाताओं से 11 प्रमुख दस्तावेजों के जरिए पहचान और पते का सत्यापन करने को कहा है। इसमें नाम, माता-पिता का नाम, जन्मतिथि, पता, मतदाता पहचान पत्र नंबर, आधार नंबर जैसी जानकारियां शामिल हैं। BLO (बूथ लेवल ऑफिसर) को यह विवरण फॉर्म में भरकर अपलोड करना है।