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बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन पर फारूक अब्दुल्ला भड़के – "ये संविधान का अपमान है"

 08 Jul 2025

बिहार में मतदाता सूची में नाम जोड़ने के लिए चुनाव आयोग द्वारा चलाई जा रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन ड्राइव पर अब जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस कवायद को संविधान विरोधी करार देते हुए कहा कि इससे लाखों प्रवासी बिहारी मताधिकार से वंचित हो जाएंगे।


मीडिया से बातचीत में फारूक अब्दुल्ला ने कहा, "बिहार के करीब डेढ़ करोड़ लोग रोज़गार की तलाश में देशभर के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे हैं। ऐसे में वे इस नए नियम के तहत कैसे आवश्यक दस्तावेज़ प्रस्तुत करेंगे? कहां से वे फॉर्म भरेंगे, फोटो लाएंगे, मां-बाप के प्रमाण पत्र जुटाएंगे?" उन्होंने आगे कहा कि जब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने संविधान बनाया था, तब हर भारतीय नागरिक को वोट देने का अधिकार दिया गया था, फिर उम्र सीमा को 18 साल निर्धारित कर दिया गया। लेकिन अब जो नया नियम लाया गया है, वह पूरी तरह से संविधान के मूल स्वरूप के खिलाफ है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने सत्ताधारी दलों पर निशाना साधते हुए कहा, "आज एक नया कानून लाया गया है जो अपने 'मालिकों' को खुश करने के लिए लाया गया है। लेकिन यह भारत के लोगों को मंज़ूर नहीं होगा। यदि ऐसी ही कोशिशें जारी रहीं, तो संविधान की रक्षा के लिए देश में बड़ा आंदोलन खड़ा होगा। अल्लाह करे कि इन्हें सद्बुद्धि आए और ये संविधान की हिफाज़त करें।"


चुनाव आयोग के अनुसार, इस स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन ड्राइव का उद्देश्य मतदाता सूची से डुप्लीकेट और फर्जी नामों को हटाना है। खास तौर पर ऐसे लोगों को चिन्हित किया जा रहा है जो एक ही समय में स्थायी और वर्तमान दोनों पते पर सूचीबद्ध हैं। आयोग का तर्क है कि जिस क्षेत्र में व्यक्ति वर्तमान में रह रहा है, उसी क्षेत्र की मतदाता सूची में उसका नाम होना चाहिए। इसके साथ ही यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि केवल भारतीय नागरिक ही मतदाता के रूप में पंजीकृत हों।