अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम (सीजफायर) को लेकर अपने प्रशासन की भूमिका पर ज़ोर दिया है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी कूटनीतिक प्रयासों ने दोनों देशों के बीच संभावित युद्ध को टालने में अहम भूमिका निभाई।
इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की मेज़बानी के दौरान ट्रंप ने व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, "हमने बहुत-सी लड़ाइयां रोकी हैं। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण भारत और पाकिस्तान के बीच की थी। वे शायद परमाणु युद्ध की ओर बढ़ रहे थे।"
ट्रंप ने यह भी बताया कि उन्होंने दोनों देशों को स्पष्ट संदेश दिया था कि यदि युद्ध हुआ तो अमेरिका उनके साथ किसी भी तरह की व्यापारिक साझेदारी नहीं करेगा। उन्होंने कहा, "हमने कहा कि अगर आप युद्ध करेंगे, तो हम व्यापार नहीं करेंगे। हमारे इस रुख ने सीजफायर में निर्णायक भूमिका निभाई।"
नेतन्याहू ने किया नोबेल शांति पुरस्कार के लिए ट्रंप को नामांकित
इस अवसर पर इज़राइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने राष्ट्रपति ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए औपचारिक रूप से नामित भी किया। डिनर के दौरान नेतन्याहू ने उन्हें नामांकन पत्र सौंपते हुए कहा, "आपने अब्राहम समझौते के ज़रिए अभूतपूर्व शांति प्रयास किए हैं। यह प्रयास मध्य पूर्व में स्थायित्व और सहयोग की दिशा में बड़ा कदम है। आप नोबेल शांति पुरस्कार के सही हकदार हैं।"
हालांकि ट्रंप द्वारा बार-बार भारत-पाक सीजफायर का श्रेय लिए जाने पर भारत की ओर से स्पष्टीकरण दिया जा चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से फोन पर 35 मिनट लंबी बातचीत के दौरान साफ कर दिया था कि भारत ने ना तो किसी मध्यस्थता की मांग की है, ना ही किसी व्यापारिक दबाव में निर्णय लिया है।
भारत सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में भारत की नीति स्वतंत्र और स्पष्ट है। भारत पाकिस्तान से बातचीत केवल आतंकवाद मुक्त माहौल में ही संभव मानता है।