ऑपरेशन सिंदूर को शुरू हुए दो महीने बीत चुके हैं, लेकिन इससे जुड़ी नई जानकारियाँ अब भी सामने आ रही हैं। हाल ही में सेना के डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (कैपेबिलिटी डेवलपमेंट एंड सस्टेनेंस) लेफ्टिनेंट जनरल राहुल सिंह ने एक कार्यक्रम में इस ऑपरेशन को लेकर कई अहम खुलासे किए।
नई दिल्ली में आयोजित एक रक्षा-संबंधी कार्यक्रम में जनरल राहुल सिंह ने कहा, “हालांकि यह संघर्ष भारत और पाकिस्तान के बीच था, लेकिन वास्तविकता यह है कि भारत को एक साथ तीन मोर्चों पर मुकाबला करना पड़ा।”
उन्होंने बताया कि पाकिस्तान तो प्रत्यक्ष शत्रु था, लेकिन चीन उसकी हर संभव तरीके से मदद कर रहा था। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान के सैन्य हार्डवेयर का 81% हिस्सा चीन से आता है और इस संघर्ष के दौरान चीन ने अपने हथियारों और प्रणालियों को लाइव लैब के रूप में भारत के खिलाफ प्रयोग किया।
लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने यह भी कहा कि तुर्की ने भी पाकिस्तान को न केवल ड्रोन बल्कि प्रशिक्षित मानव संसाधन के माध्यम से मदद पहुंचाई। इसके साथ ही उन्होंने एक गंभीर चिंता जाहिर की, जब भारत और पाकिस्तान के बीच डीजीएमओ स्तर पर बातचीत चल रही थी, तब पाकिस्तान को भारत के संवेदनशील रणनीतिक ठिकानों की जानकारी चीन के जरिए मिल रही थी। उन्होंने इसे एक सुरक्षा चुनौती बताया और कहा कि अब भारत को अपनी एयर डिफेंस प्रणाली को और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है।
लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की रणनीतिक नेतृत्व और संदेश बेहद स्पष्ट था। उन्होंने कहा, “अब वो समय नहीं रहा जब हम चुपचाप दर्द सहा करते थे। अब भारत निर्णायक कार्रवाई करता है।”
उन्होंने बताया कि ऑपरेशन की योजना तकनीक और ह्यूमन इंटेलिजेंस के सहारे तैयार किए गए व्यापक डेटा पर आधारित थी। कुल 21 संभावित टारगेट की पहचान की गई, जिनमें से नौ को अंतिम समय में निशाना बनाने का फैसला लिया गया।
उन्होंने कहा, “यह एक सोच-समझकर लिया गया निर्णय था, न कि भावनात्मक प्रतिक्रिया।”
उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि भारत ने इस पूरे संघर्ष में 'एस्केलेशन लैडर' के शीर्ष पर रहने की रणनीति अपनाई। उनका कहना था, “जंग शुरू करना आसान होता है, लेकिन उसे नियंत्रित करना बेहद कठिन। ऑपरेशन सिंदूर में समय रहते जो सैन्य निर्णय लिए गए, उन्होंने युद्ध को व्यापक स्तर तक जाने से रोका।”