उत्तर प्रदेश के इटावा में एक गैर-ब्राह्मण कथावाचक पर हमले को लेकर उठे विवाद के बीच समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री पर तीखा हमला बोला है। लखनऊ में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कथावाचकों की कथित फीस पर सवाल उठाते हुए कहा, "कई कथावाचक 50 लाख रुपये तक लेते हैं। किसी की इतनी हैसियत है कि धीरेंद्र शास्त्री को कथा के लिए अपने घर बुला ले? वो बाबा अंडर टेबल पैसा लेते हैं। आप पता करवा लीजिए, कथावाचन मुफ्त में नहीं होता।"
सपा प्रमुख के इस बयान पर भाजपा ने तीव्र प्रतिक्रिया दी है। भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने कहा, "हम अखिलेश यादव और उनकी विचारधारा को जानते हैं। जब वे हिंदू धर्म पर टिप्पणी करते हैं, तो आश्चर्य नहीं होता। हिंदू समाज यह सब देख रहा है और उचित समय पर जवाब देगा।"
वहीं केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल ने आरोप लगाया, "अखिलेश यादव के बयानों का उद्देश्य सनातन परंपराओं के खिलाफ बोलकर मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण करना है। अगर उनमें हिम्मत है, तो वे मौलवियों या इमामों पर भी टिप्पणी करें।"
अयोध्या के श्री हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास ने भी हमला बोला। उन्होंने कहा, "अखिलेश यादव हताशा में ऐसी बयानबाज़ी कर रहे हैं। इटावा की घटना को लेकर उन्होंने हिंदू समाज में टकराव भड़काने की कोशिश की है, जबकि खुद वे पंडितों के भंडारे में शामिल हो चुके हैं।"
यह सारा विवाद 22 जून को इटावा जिले के एक गांव में उस समय शुरू हुआ, जब दो गैर-ब्राह्मण कथावाचकों को कथावाचन करने पर कथित रूप से अपमानित किया गया और उनका जबरन मुंडन कर दिया गया। जब यह जानकारी सामने आई कि कथावाचक यादव समुदाय से हैं, तो इसका विरोध शुरू हो गया।
पुलिस ने कार्रवाई करते हुए शीश तिवारी, उत्तम अवस्थी, निक्की अवस्थी और मनु दुबे नाम के चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। घटना ने राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर व्यापक बहस छेड़ दी है।