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बीजेपी में संगठनात्मक बदलाव की तैयारी, चार वरिष्ठ नेताओं को सौंपा गया दायित्व

 27 Jun 2025

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और उत्तराखंड में नए प्रदेश अध्यक्षों के चयन की प्रक्रिया तेज कर दी है। पार्टी ने इन तीनों राज्यों में चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति कर दी है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, इन राज्यों में जल्द ही प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव संपन्न कराया जाएगा। कुल मिलाकर देश के 13 से 14 राज्यों में भाजपा को अपने प्रदेश नेतृत्व में बदलाव करना है। इसके बाद पार्टी अपने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव करेगी।


गौरतलब है कि मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल जून 2024 में ही समाप्त हो चुका है। तब से वे इस पद पर एक्सटेंशन के आधार पर बने हुए हैं। चूंकि वे अब केंद्र सरकार में मंत्री भी हैं, इसलिए पार्टी संगठन को नया पूर्णकालिक अध्यक्ष देना प्राथमिकता बन चुका है। संभावना जताई जा रही है कि पार्टी 21 जुलाई से पहले, यानी मानसून सत्र शुरू होने से पहले, नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन सकती है।

बीजेपी के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले सभी राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव अनिवार्य है। प्रदेश इकाइयों में यह प्रक्रिया लंबे समय से रुकी हुई थी, जिसके कारण राष्ट्रीय नेतृत्व में बदलाव नहीं हो सका। अब पार्टी हाईकमान इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। महाराष्ट्र की जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू को दी गई है, जबकि पश्चिम बंगाल में यह दायित्व पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को मिला है। उत्तराखंड में प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की देखरेख हर्ष मल्होत्रा करेंगे। वहीं, मध्य प्रदेश की कमान केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को सौंपी गई है।

उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों का कार्यकाल पहले ही समाप्त हो चुका है। खासकर उत्तर प्रदेश में वर्ष 2027 में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं, जिससे पहले संगठन को मजबूत करने के उद्देश्य से जल्द ही नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया जाना जरूरी है। मध्य प्रदेश में यह प्रक्रिया पिछले छह महीनों से रुकी हुई थी, लेकिन अब संकेत मिल रहे हैं कि एक सप्ताह के भीतर वहां भी अध्यक्ष का ऐलान हो सकता है। बीजेपी की रणनीति स्पष्ट है—प्रदेश इकाइयों को मज़बूत करते हुए संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया पूरी करना और उसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति कर संगठन को नई दिशा देना।