प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार को प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (PMML) सोसायटी की आम बैठक आयोजित की गई, जिसमें जवाहरलाल नेहरू से जुड़े दस्तावेजों को लेकर कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की दिशा में सहमति बनी। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि नेहरू से संबंधित कागजातों को संग्रहालय की संपत्ति मानते हुए उन्हें वापस लाने की प्रक्रिया कानूनी रूप से आगे बढ़ाई जाएगी।
बैठक में केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, निर्मला सीतारमण, धर्मेंद्र प्रधान, अश्विनी वैष्णव, स्मृति ईरानी, PMML के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा और डायरेक्टर अश्विनी लोहानी सहित अन्य सदस्य शामिल हुए।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 2008 में सोनिया गांधी ने भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से जुड़े कुछ दस्तावेज़ PMML से वापस मंगा लिए थे। ये वही दस्तावेज हैं जिन्हें पहले इंदिरा गांधी और बाद में सोनिया गांधी द्वारा संग्रहालय को दान किया गया था। 2023 की वार्षिक आम बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी और सदस्यों ने कानूनी राय लेने का फैसला किया था। प्राप्त कानूनी राय के आधार पर इस साल की शुरुआत में सोनिया गांधी के कार्यालय को औपचारिक पत्र भेजा गया, जिसमें दस्तावेज़ों की वापसी की मांग की गई। हालांकि, अब तक गांधी परिवार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है।
बैठक में सदस्यों का मत था कि ये कागजात राष्ट्रीय धरोहर हैं और भारतीय इतिहास के लिए अत्यंत मूल्यवान हैं। चूंकि ये दस्तावेज़ एक बार संग्रहालय को दान किए जा चुके हैं, इसलिए वे संस्था की संपत्ति माने जाते हैं और इन्हें निजी स्वामित्व में नहीं लिया जा सकता।
एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा, "यह मामला 2008 का है, लेकिन संस्था अब इसे 2014 से पहले के प्रशासनिक दोष के रूप में देख रही है और उचित कानूनी उपायों के साथ इसे सुधारने की दिशा में काम कर रही है।"
15 जनवरी 2025 को PMML की कार्यकारी परिषद और सोसायटी का पुनर्गठन हुआ, जिसमें कई नए सदस्यों को शामिल किया गया — जैसे कि स्मृति ईरानी, नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार, सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन, फिल्म निर्माता शेखर कपूर और संस्कार भारती से जुड़े वासुदेव कामथ।