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आज़ादी के आंदोलन को नई ऊर्जा देने वाला था गांधी-नारायण गुरु का मिलन: पीएम मोदी

 24 Jun 2025

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित श्री नारायण गुरु और महात्मा गांधी के बीच हुई ऐतिहासिक बातचीत के शताब्दी समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने इस ऐतिहासिक मुलाकात को स्वतंत्रता संग्राम और आधुनिक भारत के सामाजिक आंदोलन में एक निर्णायक क्षण करार दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "यह परिसर आज उस ऐतिहासिक घटना का साक्षी बन रहा है जिसने न केवल हमारे स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा दी, बल्कि आज़ादी के लक्ष्य और स्वतंत्र भारत के स्वप्न को एक ठोस अर्थ भी प्रदान किया।" उन्होंने कहा कि 100 वर्ष पहले, 12 मार्च 1925 को शिवगिरी मठ में श्री नारायण गुरु और महात्मा गांधी के बीच हुई बातचीत आज भी उतनी ही प्रासंगिक और प्रेरणादायक है।


प्रधानमंत्री ने श्री नारायण गुरु को समाज के आध्यात्मिक और नैतिक पुनर्निर्माण का प्रतीक बताते हुए कहा, "जो लोग राष्ट्र और समाज की सेवा के संकल्प के साथ काम करते हैं, उनके लिए श्री नारायण गुरु एक मार्गदर्शक प्रकाश की तरह हैं।" उन्होंने कहा कि जब-जब भारत किसी सामाजिक या नैतिक संकट में पड़ा है, तब-तब किसी कोने से कोई महान व्यक्तित्व उभरकर समाज को नई दिशा देता रहा है।

वैश्विक मंचों पर भारत की भूमिका का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "हाल ही में विश्व योग दिवस मनाया गया, जिसकी थीम थी वन अर्थ, वन हेल्थ—यानी एक ग्रह, एक स्वास्थ्य। इससे पहले वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड और वन वर्ल्ड, वन हेल्थ जैसे अभियानों में भी भारत ने अग्रणी भूमिका निभाई है।" उन्होंने याद दिलाया कि भारत ने G20 की अध्यक्षता के दौरान "वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर" की थीम को आगे बढ़ाया, जो 'वसुधैव कुटुम्बकम' के भारतीय विचार से जुड़ा है।

श्री नारायण धर्म संघम ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस 'गुरु स्मरण' समारोह में देशभर के आध्यात्मिक नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। यह आयोजन उन मूल्यों को सम्मान देने का प्रयास है, जिनके लिए श्री नारायण गुरु और महात्मा गांधी ने मिलकर आवाज़ उठाई—जैसे कि सामाजिक न्याय, अस्पृश्यता का उन्मूलन, अहिंसा और दलितों का उत्थान। यह ऐतिहासिक संवाद 12 मार्च 1925 को उस समय हुआ था जब महात्मा गांधी ने शिवगिरी मठ की यात्रा की थी। इस मुलाकात के दौरान दोनों महान व्यक्तित्वों के बीच वैकोम सत्याग्रह, धर्मांतरण, आध्यात्मिक मुक्ति, दलित अधिकार और सामाजिक सुधारों जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई थी।