गोवा सरकार में कला और संस्कृति मंत्री गोविंद गौड़े को राज्य मंत्रिमंडल से हटा दिया गया है। यह कदम उस वक्त उठाया गया जब गौड़े ने मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के अधीन आदिवासी कल्याण विभाग में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। माना जा रहा है कि यह कार्रवाई पार्टी लाइन से हटकर बयानबाजी करने के चलते की गई है।
गोवा बीजेपी अध्यक्ष दामू नाइक ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, “यह निर्णय पार्टी, सरकार और केंद्रीय नेतृत्व के परामर्श से सर्वसम्मति से लिया गया है। बीजेपी में अनुशासन सर्वोपरि है और किसी भी तरह की अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” उन्होंने यह भी बताया कि नए मंत्री की नियुक्ति को लेकर जल्द फैसला लिया जाएगा।
बीजेपी सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत पहले ही गोविंद गौड़े को मंत्रिमंडल से हटाने का निर्णय ले चुके थे, लेकिन राज्य नेतृत्व इस फैसले पर दिल्ली से अंतिम स्वीकृति की प्रतीक्षा कर रहा था। वर्तमान में गौड़े के सभी विभाग मुख्यमंत्री के पास रहेंगे।
विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
मंत्री गौड़े ने 25 मई को एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान आदिवासी कल्याण मंत्रालय में कथित भ्रष्टाचार पर सवाल उठाए थे। अपने भाषण में उन्होंने कहा था, "आदिवासी कल्याण विभाग को करदाताओं के पैसे का बड़ा हिस्सा मिलता है, लेकिन प्रशासन कमजोर हो गया है। ठेकेदारों की फाइलें चुपचाप श्रम शक्ति भवन की इमारत के नीचे निपटाई जाती हैं, उनसे पैसे लिए जाते हैं और फिर फाइलें जमा करने को कहा जाता है।”
गौड़े ने यह भी कहा था कि उन्होंने आदिवासी भवन के लिए अपनी निजी जमीन दी थी और बतौर मंत्री उस परियोजना की आधारशिला रखी थी, लेकिन अब निर्माण कार्य ठप पड़ा है। उनके इस बयान के बाद मुख्यमंत्री सावंत ने उन्हें 'गैर-जिम्मेदाराना बयानों' के लिए कार्रवाई की चेतावनी दी थी। इसके जवाब में गौड़े ने कहा कि उनकी बातों को मीडिया में तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है।
गोविंद गौड़े एक चर्चित रंगकर्मी से राजनेता बने हैं और गोवा की प्रियोल विधानसभा सीट से विधायक हैं। 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले वे बीजेपी में शामिल हुए थे और तब से मंत्री पद पर आसीन थे।
यह पहला मौका नहीं है जब पार्टी के भीतर से सरकार पर सवाल उठाए गए हों। कुछ महीने पहले पूर्व मंत्री पांडुरंग मडकईकर ने भी बीजेपी सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि “मंत्री पैसे गिनने में व्यस्त हैं” और “गोवा में लूट जारी है।” मडकईकर के बयान के बाद पार्टी में काफी खलबली मची थी।
गोविंद गौड़े को कैबिनेट से बाहर किया जाना न केवल बीजेपी के भीतर अनुशासन लागू करने की कोशिश मानी जा रही है, बल्कि इससे यह भी संकेत मिलता है कि पार्टी के अंदर भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सार्वजनिक टिप्पणी को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।