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बीजेपी पहले दे रही प्रदेश अध्यक्ष को तरजीह, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में देरी तय।

 12 Jun 2025

भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में देरी का सिलसिला जारी है। खबरों के अनुसार, जेपी नड्डा के उत्तराधिकारी को लेकर निर्णय अगस्त तक ही लिया जा सकेगा। जून का महीना आधा बीत चुका है, लेकिन अभी तक यूपी, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र जैसे बड़े और महत्वपूर्ण राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव नहीं हो पाया है। पार्टी ने फैसला किया है कि पहले इन राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव पूरा किया जाएगा और उसके बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष पर कोई निर्णय लिया जाएगा। यह प्रक्रिया जुलाई तक खिंच सकती है, जिसके चलते राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव अगस्त तक टलने की संभावना है। भाजपा के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तभी संभव है जब देश के कम से कम 50% राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष चुने जा चुके हों। इसके अलावा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से परामर्श भी एक महत्वपूर्ण कदम है। 


संघ यह सुनिश्चित करना चाहता है कि भाजपा का अध्यक्ष ऐसा हो, जिसका वैचारिक आधार मजबूत हो और संघ की विचारधारा से गहराई से जुड़ा हुआ हो। पार्टी नेतृत्व और संघ दोनों का मानना है कि संगठन की कमान उन्हीं लोगों को सौंपी जानी चाहिए, जिनका पार्टी और संघ से गहरा नाता रहा हो। बिहार में अक्टूबर या नवंबर में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के नेतृत्व में लड़े जाएंगे, यह लगभग तय है। हालांकि, भाजपा अध्यक्ष के चुनाव में इतनी देरी पहले कभी नहीं देखी गई। 2014-15 में अमित शाह को अध्यक्ष पद पर नियुक्ति के दौरान यह प्रक्रिया बहुत ही त्वरित थी। 2020 में जब जेपी नड्डा अध्यक्ष बने थे, तब भी यह प्रक्रिया लंबी नहीं चली थी। लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव और महाराष्ट्र व हरियाणा के विधानसभा चुनावों के कारण यह प्रक्रिया लंबित हो गई। यूपी, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष चुनना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। यूपी में, जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राजपूत समुदाय से हैं, पार्टी किसी ओबीसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाहती है ताकि सामाजिक संतुलन बनाए रखा जा सके। 

वहीं, मध्य प्रदेश में, जहां मुख्यमंत्री पिछड़ी जाति से हैं, संगठन की कमान किसी सवर्ण नेता को सौंपी जा सकती है। यह भी माना जा रहा है कि ओबीसी और अन्य जातीय समूहों के ध्रुवीकरण को ध्यान में रखते हुए, भाजपा प्रदेश और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर सामंजस्य बैठाने का प्रयास कर रही है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का यह स्पष्ट मत है कि भाजपा को संगठन को और मजबूत करने की जरूरत है। 2024 के लोकसभा चुनावों के परिणाम पार्टी के लिए एक चेतावनी के रूप में देखे जा रहे हैं। आरएसएस ने पार्टी को संगठनात्मक ढांचे को पुनः व्यवस्थित करने और अधिक मजबूत नेतृत्व विकसित करने की सलाह दी है। जेपी नड्डा का कार्यकाल 2023 में समाप्त हो गया था, लेकिन परिस्थितियों को देखते हुए इसे विस्तार दिया गया है। अब राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन के लिए पार्टी नेतृत्व ने व्यापक विचार-विमर्श शुरू कर दिया है। संभावित उम्मीदवारों में शिवराज सिंह चौहान, भूपेंद्र यादव, सुनील बंसल और मनोहर लाल खट्टर जैसे नेताओं के नाम प्रमुखता से उभर रहे हैं। 

दक्षिण भारत से जी. किशन रेड्डी का नाम भी चर्चा में है। ये सभी नेता या तो संघ से जुड़े रहे हैं या भाजपा की विचारधारा में लंबे समय से योगदान दे रहे हैं। पार्टी नेतृत्व का मानना है कि यह समय संगठन को सशक्त बनाने का है। राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि भाजपा के भविष्य की दिशा तय करने वाला महत्वपूर्ण निर्णय है। इसीलिए हर कदम सोच-समझकर और रणनीति के साथ उठाया जा रहा है।