कांग्रेस नेता राहुल गांधी इन दिनों पार्टी संगठन को मजबूत करने और इसे नई दिशा देने में जुटे हुए हैं। इसी क्रम में उन्होंने मंगलवार को मध्य प्रदेश का दौरा किया, और बुधवार को हरियाणा में पार्टी नेताओं के साथ एक अहम बैठक की। बीते साल हुए विधानसभा चुनावों के बाद यह राहुल गांधी का हरियाणा का पहला दौरा था। इस दौरान उन्होंने पार्टी कार्यालय में सभी बड़े नेताओं को एक साथ बुलाया, जिनकी गुटबाजी को लेकर अक्सर चर्चा होती रही है। बैठक में जहां एक तरफ कुमारी सैलजा मौजूद थीं, वहीं दूसरी तरफ भूपिंदर सिंह हुड्डा को भी पूरा महत्व दिया गया। रणदीप सुरजेवाला, कैप्टन अजय यादव और कई अन्य वरिष्ठ नेता भी इस बैठक का हिस्सा बने।
बैठक में सभी नेताओं ने संगठन को मजबूती देने की जरूरत पर जोर दिया और इसके लिए मिलकर काम करने की बात कही। हालांकि, चुनावी हार पर चर्चा के दौरान किसी ने खुलकर कुछ नहीं कहा, लेकिन संकेतों के माध्यम से हर किसी ने अपनी बात रख दी। चर्चा के केंद्र में भूपिंदर सिंह हुड्डा रहे, जो चुनाव अभियान के मुख्य चेहरा थे और मुख्यमंत्री पद के दावेदार भी माने जा रहे थे।
हुड्डा पर हार का ठीकरा फोड़ने की कोशिश की गई, खासकर कुमारी सैलजा के गुट ने उन्हें हार के लिए जिम्मेदार ठहराया।
इस आलोचना से हुड्डा आहत दिखे और उन्होंने तंज भरे अंदाज में कहा, "जीत के सौ बाप होते हैं, लेकिन हार का कोई नहीं।" उनकी यह टिप्पणी चुनाव नतीजों के बाद से जारी आरोप-प्रत्यारोप की ओर इशारा कर रही थी।
हुड्डा की इस टिप्पणी पर राहुल गांधी ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। एक रिपोर्ट के अनुसार, राहुल ने उसी अंदाज में जवाब देते हुए कहा, "जो कुछ भी हो रहा है, उसका मैं ही बाप और दादा हूं। हर चीज का जिम्मेदार मैं ही हूं।" राहुल गांधी का यह बयान महत्वपूर्ण था क्योंकि उन्होंने हार की जिम्मेदारी लेने का स्पष्ट संदेश दिया।
गौरतलब है कि राहुल गांधी पहले भी पार्टी नेताओं को सीधे और कड़े शब्दों में फटकार लगा चुके हैं। गुजरात में उन्होंने कांग्रेस के कुछ नेताओं को भाजपा का "स्लीपर सेल" कहा था, वहीं मध्य प्रदेश में उन्होंने पार्टी के कुछ नेताओं को "बारात का घोड़ा" बताते हुए उनकी उपयोगिता पर सवाल उठाए थे।
हरियाणा की बैठक में हालांकि उनका रवैया संयमित रहा, लेकिन हुड्डा के तंज का जवाब देकर उन्होंने नेतृत्व की जिम्मेदारी को लेकर अपनी बात स्पष्ट कर दी।
बैठक में एक और दिलचस्प पहलू यह था कि सैलजा और हुड्डा, जो आमतौर पर एक-दूसरे के विरोधी माने जाते हैं, इस बार एक मुद्दे पर सहमत नजर आए। सैलजा ने राहुल गांधी से कहा कि चुनाव परिणामों को सात महीने बीत चुके हैं, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने संगठन को मजबूत करने के लिए कोई बैठक नहीं बुलाई। उनकी इस बात पर हुड्डा भी सहमति जताते हुए सिर हिलाते दिखे।