अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान को एक बार फिर शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है। मलेशिया ने पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ खेले गए 'धार्मिक कार्ड' को सिरे से खारिज करते हुए उसे करारा जवाब दिया है। यह घटनाक्रम भारत की कूटनीतिक सक्रियता और वैश्विक स्तर पर मजबूत होती छवि को दर्शाता है।
पाकिस्तान ने मलेशिया में भारत के सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल के प्रस्तावित कार्यक्रमों को रद्द करवाने की कोशिश की थी, लेकिन मलेशिया सरकार ने उसकी अपील ठुकरा दी और सभी कार्यक्रम आयोजित कराए।
सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान के दूतावास ने मलेशियाई अधिकारियों से अपील की थी कि कश्मीर मसले और इस्लामी एकता के नाम पर भारत के सांसदों के कार्यक्रमों को रद्द किया जाए।
"हम इस्लामिक देश हैं, आप भी हैं... भारत के प्रतिनिधिमंडल की बात न सुनें," – यही तर्क पाकिस्तानी दूतावास ने दिया।
लेकिन मलेशिया ने पाकिस्तान को स्पष्ट शब्दों में जवाब देते हुए न सिर्फ इन दावों को नजरअंदाज किया, बल्कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सभी कार्यक्रमों को पूरी गरिमा के साथ आयोजित किया।
भारत ने हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेनकाब करने का अभियान तेज किया है। इसी के तहत सर्वदलीय सांसद प्रतिनिधिमंडल ने पांच देशों – जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया और मलेशिया – का दौरा किया।
प्रतिनिधिमंडल के नेता, जेडीयू सांसद संजय झा ने दिल्ली लौटने के बाद कहा:
"भारत की आतंकवाद पर न्यू नॉर्मल नीति और ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी पांचों देशों को दी गई। सभी देशों में हमें समर्थन और संवेदना मिली।"
"सबसे अहम बात यह रही कि सभी दलों के सांसद एक स्वर में बोले और भारत की एकता का संदेश दिया।"
संजय झा ने आगे कहा कि भारत ने दौरे के दौरान यह भी संदेश दिया कि FATF की ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान को दोबारा शामिल किया जाना चाहिए।
सिंधु जल संधि जैसी कोई दूसरी मिसाल नहीं है, जिसमें कोई देश अपनी 80% जल संपदा साझा करता हो — वह भी ऐसे देश के साथ, जो शत्रुतापूर्ण रवैया अपनाए हुए है। इस उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल में विभिन्न दलों के प्रमुख सांसद और पूर्व राजनयिक शामिल थे:
संजय झा (जेडीयू)
अपराजिता सारंगी, बृजलाल, प्रदान बरुआ, हेमांग जोशी (भाजपा)
अभिषेक बनर्जी (टीएमसी)
जॉन ब्रिटास (सीपीएम)
सलमान खुर्शीद (कांग्रेस)
मोहन कुमार (पूर्व राजदूत – बहरीन व फ्रांस)