ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना को सिर्फ पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों से ही नहीं, बल्कि सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों और झूठी खबरों से भी मोर्चा लेना पड़ा। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने बताया कि इस अभियान के दौरान सेना का लगभग 15% समय फर्जी खबरों को खंडित करने और सोशल मीडिया पर सही सूचना पहुँचाने में खर्च हो गया।
जनरल चौहान ने यह टिप्पणी सिंगापुर में आयोजित प्रतिष्ठित शांग्री-ला डायलॉग के दौरान की। उन्होंने कहा, "फर्जी खबरों से निपटना एक सतत प्रक्रिया बन गया है। हमारी कम्युनिकेशन रणनीति सोच-समझकर बनाई गई थी और हमने बेहद संतुलित रवैया अपनाया।"
तथ्यों पर आधारित सूचना ही हमारी प्राथमिकता
CDS ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत की रणनीति हमेशा मजबूत तथ्यों और प्रमाणों पर आधारित सूचना देने की रही है। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के शुरुआती दिनों में सेना की प्राथमिकता पूरी तरह मिशन पर केंद्रित थी। "पहले तीन दिनों में केवल दो महिला अधिकारी मीडिया में आईं। मुख्य सैन्य नेतृत्व पूरी तरह अभियान में व्यस्त था और 10 मई के बाद ही DGMO ने प्रेस को संबोधित किया," उन्होंने कहा।
बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में मौजूद नौ आतंकी ठिकानों को सफलतापूर्वक नष्ट किया था। इस कार्रवाई को भारत द्वारा पुलवामा जैसी घटनाओं के बाद सख्त जवाब के रूप में देखा गया।
जनरल चौहान ने यह भी बताया कि संघर्ष के दौरान भारत पर सीमित साइबर हमले भी किए गए, जिनमें स्कूलों की वेबसाइट्स और कुछ सार्वजनिक प्लेटफॉर्म्स को निशाना बनाया गया। हालांकि, उन्होंने आश्वस्त किया कि इन हमलों का भारत की सैन्य क्षमताओं या ऑपरेशनल सिस्टम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
इससे पहले, विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने भी पाकिस्तान पर जानबूझकर गलत जानकारी फैलाने का आरोप लगाया था। उन्होंने प्रेस ब्रीफिंग में कहा था कि पाकिस्तान द्वारा सिरसा और सूरत एयर स्टेशनों को नुकसान पहुँचाने के दावे पूरी तरह झूठे हैं। उन्होंने जनता से अपील की थी कि वे ऐसे झूठे प्रचारों के झांसे में न आएं।