भोपाल में शनिवार को आयोजित महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन एक ऐतिहासिक अवसर का साक्षी बना, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। इस भव्य कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने महिला सशक्तिकरण, सांस्कृतिक पुनर्जागरण और देश के समग्र विकास पर केंद्रित अनेक योजनाओं का लोकार्पण किया और एक भावुक भाषण के जरिए देशवासियों को अहिल्याबाई के आदर्शों से प्रेरणा लेने का आह्वान किया।
अपने संबोधन की शुरुआत में प्रधानमंत्री मोदी ने देवी अहिल्याबाई के बहुआयामी योगदान को रेखांकित करते हुए उन्हें भारतीय संस्कृति की महान संरक्षिका बताया। उन्होंने कहा कि गुलामी के कठिन दौर में देवी अहिल्याबाई ने काशी विश्वनाथ जैसे अनेक तीर्थस्थलों और मंदिरों का जीर्णोद्धार कर भारत की सांस्कृतिक पहचान को जीवित रखा। उन्होंने यह भी कहा कि जिस काशी में अहिल्याबाई ने अभूतपूर्व विकास कार्य किए, उसी काशी ने उन्हें जनसेवा का अवसर भी दिया।
प्रधानमंत्री ने लोकमाता को शासन और सेवा का समन्वय बताने वाली प्रेरणास्रोत बताते हुए कहा कि उनके लिए सत्ता का अर्थ था जनता की सेवा। उन्होंने शिवभक्ति और जनकल्याण को कभी अलग नहीं किया।
पीएम मोदी ने बताया कि अहिल्याबाई हमेशा शिवलिंग अपने साथ रखती थीं, और उनके शासन में धार्मिक आस्था तथा प्रशासनिक दक्षता का दुर्लभ संगम देखने को मिला।
देश की बेटियों के साहस और समर्पण को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत अपनी बेटियों के शौर्य पर गर्व करता है। चाहे वह स्कूल हो या युद्ध का मैदान, सीमापार का आतंकवाद हो या नक्सल विरोधी अभियान—देश की बेटियां हर मोर्चे पर डटकर खड़ी हैं और भारत की सुरक्षा की सशक्त ढाल बन चुकी हैं।
मोदी ने अहिल्याबाई के प्रशासनिक कौशल की चर्चा करते हुए कहा कि इंदौर जैसी समृद्ध नगरी की नींव उन्हीं की दूरदर्शिता और कुशल नेतृत्व में पड़ी थी। उन्होंने शिक्षा, आधारभूत संरचना और जनकल्याणकारी योजनाओं के जरिए जनजीवन को बेहतर बनाने का ऐतिहासिक कार्य किया, जिसे आने वाली पीढ़ियां भी स्मरण करेंगी।
कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने देवी अहिल्याबाई के सम्मान में समर्पित एक विशेष स्मारक डाक टिकट और 300 रुपये का स्मृति सिक्का जारी किया। इसके साथ ही जनजातीय महिला कलाकारों को राष्ट्रीय देवी अहिल्याबाई पुरस्कार से सम्मानित कर मातृशक्ति को सशक्त बनाने की दिशा में एक और कदम बढ़ाया।
पीएम मोदी ने इस अवसर पर इंदौर मेट्रो की येलो लाइन के छह किलोमीटर लंबे रूट की वर्चुअल शुरुआत भी की, जिसके पांच स्टेशन वीरांगनाओं के नाम पर रखे गए हैं। साथ ही दतिया और सतना में दो नए हवाई अड्डों का वर्चुअल उद्घाटन किया गया। उन्होंने 1,271 अटल ग्राम सुशासन भवनों के निर्माण हेतु 480 करोड़ रुपये की पहली किस्त राज्यों को हस्तांतरित करने की घोषणा भी की, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में सुशासन को मजबूती मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देवी अहिल्याबाई की जयंती केवल एक स्मृति नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण के संकल्प को दोहराने का अवसर है। उन्होंने माताओं, बहनों और बेटियों की उपस्थिति को अपना सौभाग्य बताते हुए कहा कि भारत की मातृशक्ति से प्रेरणा लेकर ही 140 करोड़ देशवासी राष्ट्र को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए भगीरथ प्रयास कर सकते हैं।