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‘घोषित विदेशियों’ को सीमा पार भेजने की प्रक्रिया शुरू-असम के मुख्यमंत्री ने दी पुष्टि

 31 May 2025

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने शुक्रवार को पुष्टि की कि राज्य उन व्यक्तियों को अंतरराष्ट्रीय सीमा पार बांग्लादेश भेज रहा है जिन्हें विदेशी न्यायाधिकरणों (Foreigners' Tribunals - FT) द्वारा  विदेशी घोषित किया गया है। यह बयान राज्य भर में चल रही हिरासत की कार्रवाइयों के बीच सामने आया है, जहां कई परिवार अपने परिजनों के ठिकाने को लेकर अनिश्चितता व्यक्त कर रहे हैं। सरमा ने कहा कि यह कार्रवाई सर्वोच्च न्यायालय के 4 फरवरी के आदेश के आलोक में की जा रही है, जिसमें मटिया ट्रांजिट कैंप में बंद 'घोषित विदेशियों' को निर्वासित करने की प्रक्रिया शुरू न करने पर राज्य सरकार को फटकार लगाई गई थी। न्यायमूर्ति अभय ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने स्पष्ट किया था कि जिन 63 लोगों की राष्ट्रीयता ज्ञात है, उनके निर्वासन की प्रक्रिया में देरी का कोई औचित्य नहीं है।

मुख्यमंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब राज्य के विभिन्न हिस्सों से 'घोषित विदेशियों' को हिरासत में लिए जाने की खबरें आ रही हैं। कई परिवारों का आरोप है कि उन्हें न तो अधिकारिक जानकारी दी गई है और न ही यह बताया गया है कि उनके परिजन कहां हैं। कुछ मामलों में, बांग्लादेश से प्राप्त वीडियो और रिपोर्टों में परिजनों की पहचान की गई है — जो कथित रूप से भारत-बांग्लादेश सीमा पार 'धकेले' गए हैं। 'पुश बैक' शब्द का उपयोग इस अनौपचारिक प्रक्रिया के लिए किया जाता है, जिसमें किसी व्यक्ति को बिना औपचारिक निर्वासन प्रक्रिया के सीमा पार भेज दिया जाता है। इसके विपरीत, निर्वासन की प्रक्रिया में गंतव्य देश की सरकार से आधिकारिक पुष्टि और समन्वय शामिल होता है।

अदालत ने आदेश में कहा था कि अगर राज्य सरकार को यह ज्ञात है कि व्यक्ति किसी विशेष देश का नागरिक है, तो सिर्फ इसलिए निर्वासन की प्रक्रिया में देरी नहीं होनी चाहिए क्योंकि उसका ठिकाना ज्ञात नहीं है। अदालत ने राज्य को निर्देश दिया कि वह इन व्यक्तियों के निर्वासन की प्रक्रिया तुरंत शुरू करे। मुख्यमंत्री ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार, जिन लोगों को विदेशी घोषित किया गया है और जिन्होंने अब तक अदालत में अपील नहीं की है, उन्हें हम वापस भेज रहे हैं। यदि कोई यह साबित करता है कि उसने हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है, तो हम कार्रवाई नहीं कर रहे।”

सरमा ने यह भी बताया कि हाल ही में सभी जिला पुलिस अधीक्षकों की एक बैठक हुई थी, जिसमें राज्य में 'घोषित विदेशियों' की पहचान की प्रक्रिया को तेज करने का निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार बांग्लादेश सरकार के साथ समन्वय कर रही है और शीघ्र ही कुछ लोगों को औपचारिक रूप से बांग्लादेश भेजा जाएगा। हालांकि, मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट किया कि जिन व्यक्तियों की FT फैसले के खिलाफ अपील लंबित है, उन पर यह प्रक्रिया लागू नहीं की जा रही है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि जो व्यक्ति अदालत में अपील नहीं कर रहे हैं, वे राज्य में रहने का अधिकार खो चुके हैं।

जब पत्रकारों ने मोरीगांव निवासी खैरुल इस्लाम के मामले का ज़िक्र किया—जिन्हें कथित तौर पर हाई कोर्ट में अपील लंबित होने के बावजूद सीमा पार 'धकेला गया'—तो सरमा ने जवाब दिया कि यदि किसी के पास सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट में मामला लंबित है, तो उसे पुलिस के समक्ष उसका आदेश प्रस्तुत करना चाहिए।