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‘भारत की विदेश नीति धराशायी’, राहुल गांधी ने जयशंकर से फिर मांगे जवाब

 05 Aug 2025

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने एक बार फिर विदेश मंत्री एस. जयशंकर को निशाने पर लेते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर केंद्र सरकार पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के जरिए भारत की विदेश नीति को विफल बताया और विदेश मंत्री से सीधे जवाब मांगे। राहुल गांधी ने अपनी पोस्ट में पूछा, “क्या जयशंकर जी बताएंगे कि भारत को पाकिस्तान के साथ क्यों जोड़ा गया? पाकिस्तान की निंदा करने में एक भी देश ने हमारा साथ क्यों नहीं दिया? ट्रंप को भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता का प्रस्ताव किसने दिया? क्या भारत की विदेश नीति अब पूरी तरह विफल हो चुकी है?”


 

 

राहुल गांधी ने 17 मई को एक वीडियो शेयर किया, जिसमें विदेश मंत्री एस. जयशंकर का बयान शामिल था। इसके साथ उन्होंने लिखा: “हमारे हमले की शुरुआत में पाकिस्तान को सूचित करना एक अपराध था। विदेश मंत्री ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि भारत सरकार ने ऐसा किया। इसे किसने अधिकृत किया? इसके परिणामस्वरूप हमारी वायुसेना ने कितने विमान खो दिए?” 19 मई को राहुल ने अपनी बात को और आगे बढ़ाते हुए दोबारा सवाल किया, “विदेश मंत्री जयशंकर की चुप्पी सिर्फ चुप्पी नहीं, बल्कि निंदनीय है। इसलिए मैं फिर पूछता हूँ—हमने कितने भारतीय विमान खो दिए, क्योंकि पाकिस्तान को पहले से पता था? यह कोई चूक नहीं थी, यह एक अपराध था। देश को सच्चाई जानने का अधिकार है।”


विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 15 मई को दिल्ली में होंडुरास दूतावास के उद्घाटन समारोह के दौरान पत्रकारों से बातचीत में कहा था, “हमने आतंकवादी ढांचे को नष्ट करने के अपने लक्ष्य प्राप्त कर लिए थे। इसलिए हमने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया कि हमारा निशाना सेना नहीं, बल्कि आतंकी ठिकाने हैं। हमने यह विकल्प खुला रखा कि अगर पाक सेना चाहे, तो वह हस्तक्षेप न करे।” इस बयान को राहुल गांधी द्वारा “ऑपरेशन से पहले पाकिस्तान को सूचित करना” बताया गया, जिसे विदेश मंत्रालय ने तथ्यों की गलत व्याख्या करार देते हुए सिरे से खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय के एक्सपी डिवीजन ने स्पष्ट किया कि जयशंकर ने यह कभी नहीं कहा कि पाकिस्तान को ऑपरेशन से पहले सूचित किया गया था। बल्कि, ऑपरेशन शुरू होने के बाद प्रारंभिक चरण में एक चेतावनी दी गई थी कि कार्रवाई आतंकियों के खिलाफ है, सेना के खिलाफ नहीं।