लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के गुरुवार को हुए बिहार दौरे के दौरान बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि जब वे दरभंगा स्थित अंबेडकर छात्रावास में छात्रों से संवाद करने जा रहे थे, तब बिहार पुलिस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया।
इस घटनाक्रम पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी और राज्य की बीजेपी-जेडीयू गठबंधन सरकार पर हमला बोलते हुए पूछा, “क्या बिहार में दलित छात्रों से बातचीत करना अब अपराध है? क्या छात्रों के हक़ की आवाज़ उठाना गुनाह है?”
राहुल गांधी ने एक बार फिर जातिगत जनगणना के मुद्दे को ज़ोर-शोर से उठाया। उन्होंने कहा कि देश में दलितों, पिछड़ों, अति पिछड़ों और आदिवासियों को हर मोर्चे पर वंचित किया जा रहा है। “ब्यूरोक्रेसी हो या कॉर्पोरेट इंडिया, मेडिकल या एजुकेशन सिस्टम—इन सभी में 90% आबादी की भागीदारी नगण्य है। सिर्फ मनरेगा की लिस्ट खोलिए, वहां ये वर्ग जरूर मिलेगा,” राहुल ने कहा।
उन्होंने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जातिगत जनगणना का ऐलान केवल जनता के दबाव में किया है, न कि सामाजिक न्याय के प्रति किसी प्रतिबद्धता से। उन्होंने आरोप लगाया, “यह सरकार संविधान, लोकतंत्र और देश की 90% आबादी के खिलाफ है। यह अडानी-अंबानी की सरकार है।”
राहुल गांधी ने निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू करने और वर्तमान 50% आरक्षण सीमा को खत्म करने की वकालत की। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को घेरते हुए पूछा, “आप किस बात से डर रहे हैं? क्या बिहार में शिक्षा और सामाजिक न्याय की वास्तविक स्थिति छुपाना चाहते हैं?”
राहुल ने कहा कि जातिगत जनगणना सिर्फ आंकड़े नहीं, बल्कि हक़ की लड़ाई का आधार है। उन्होंने कहा, “इस देश की 90% आबादी को अब एकजुट होकर अपने अधिकारों की लड़ाई लड़नी होगी।
गौरतलब है कि बिहार में इस साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। राज्य की 243 सीटों पर बीजेपी-जेडीयू गठबंधन और कांग्रेस-राजद महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला तय माना जा रहा है। कांग्रेस और राजद की कोशिश है कि जातीय समीकरण और सामाजिक न्याय के मुद्दों के सहारे वे सत्ता में वापसी का रास्ता तैयार कर सकें।