जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए दिल दहला देने वाले आतंकी हमले के बाद भारत ने अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर बड़ी कार्रवाई की है। इस हमले में आतंकियों ने धर्म पूछकर 26 टूरिस्टों की बेरहमी से हत्या की थी, जिसके बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया और पाकिस्तान तथा पीओके में मौजूद नौ आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। अब भारत ने संयुक्त राष्ट्र (UN) के समक्ष इस हमले के पीछे शामिल आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) और लश्कर-ए-तैयबा की साठगांठ के ठोस सबूत पेश किए हैं। भारत की कोशिश है कि TRF को आतंकी संगठन घोषित करवाकर वैश्विक प्रतिबंध लगवाया जाए।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद रोधी कार्यालय (UNOCT) और काउंटर टेररिज्म कमेटी एग्जीक्यूटिव डायरेक्टोरेट (CTED) के अधिकारियों से मुलाकात कर TRF और लश्कर के बीच संबंधों का खुलासा किया।
भारत ने UNSC की 1267 प्रतिबंध समिति की निगरानी टीम के समक्ष भी TRF के आतंकवादी नेटवर्क और उसकी गतिविधियों के सबूत प्रस्तुत किए।
भारत ने बताया कि TRF दरअसल पाकिस्तानी समर्थन प्राप्त लश्कर-ए-तैयबा का ही मुखौटा संगठन है, जो अंतरराष्ट्रीय निगरानी से बचने के लिए अलग पहचान बनाए हुए है।
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, TRF ने पहलगाम आतंकी हमले की शुरुआत में जिम्मेदारी ली थी, लेकिन बाद में अपने "सीमा पार आकाओं" के इशारे पर उस बयान से मुकर गया। सूत्रों के अनुसार, यह मई और नवंबर 2024 के बाद तीसरी बार है जब भारत ने 1267 समिति से TRF को प्रतिबंधित करने की अपील की है। भारत के पास सीमा पार आतंकवाद से TRF के संबंधों को दर्शाने वाले मजबूत साक्ष्य हैं, जिन्हें इस बार स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया गया।
भारत का लक्ष्य है कि TRF को संयुक्त राष्ट्र द्वारा आधिकारिक तौर पर आतंकी संगठन घोषित किया जाए, ताकि इसके फंडिंग नेटवर्क, अंतरराष्ट्रीय संपर्क और डिजिटल प्रचार अभियान पर लगाम लगाई जा सके।
भारत ने यूएन को यह भी बताया कि TRF न सिर्फ भारत के भीतर हमलों में संलिप्त है, बल्कि यह पाकिस्तान की रणनीतिक छत्रछाया में काम करता है, जो कि क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है।