'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच उपजे सैन्य तनाव के बीच अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम का श्रेय स्वयं को दिया। हालांकि, कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता को लेकर ट्रंप की टिप्पणी पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी और अमेरिका को साफ संदेश दिया कि यह द्विपक्षीय मामला है, जिसमें किसी तीसरे पक्ष की भूमिका स्वीकार्य नहीं है।
इसके बाद अमेरिकी विदेश विभाग को वाशिंगटन की स्थिति स्पष्ट करनी पड़ी। विदेश विभाग के उप प्रवक्ता थॉमस पिगॉट ने मंगलवार (भारतीय समयानुसार बुधवार सुबह) को प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि अमेरिका भारत और पाकिस्तान के बीच सीधे संवाद का पक्षधर है और दोनों देशों से क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने की अपील करता है।
थॉमस पिगॉट ने कहा, "हम भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम का स्वागत करते हैं और शांति का मार्ग अपनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सराहना करते हैं। जैसा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, यह निर्णय शक्ति, बुद्धिमत्ता और धैर्य का प्रतीक है।"
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका किसी मध्यस्थता की पेशकश से अधिक दोनों पक्षों के बीच प्रत्यक्ष संवाद को प्राथमिकता देता है। पिगॉट ने कहा, "हम इस दिशा में स्पष्ट हैं कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए संवाद अत्यंत आवश्यक है।"
डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया मंच 'ट्रुथ सोशल' पर दावा किया कि उनके प्रयासों के चलते परमाणु टकराव टल गया और उन्होंने कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए मध्यस्थता की पेशकश भी दोहराई। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि यदि भारत और पाकिस्तान शांति का मार्ग अपनाते हैं, तो अमेरिका दोनों देशों के साथ व्यापक व्यापार करने को तैयार है।
भारत ने इस दावे को सिरे से खारिज करते हुए दो टूक कहा कि कश्मीर पूरी तरह भारत का आंतरिक मामला है, और पाकिस्तान के साथ किसी भी मुद्दे पर बातचीत द्विपक्षीय आधार पर ही की जाएगी। भारत ने स्पष्ट किया कि वह किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता नहीं चाहता।
भारत की आपत्ति के बाद अमेरिका ने यह स्पष्ट किया कि वाशिंगटन मध्यस्थ की भूमिका निभाने की बजाय भारत-पाकिस्तान के बीच स्वतंत्र और प्रत्यक्ष वार्ता को प्रोत्साहित करता है। पिगॉट ने यह कहते हुए किसी किस्म की सैद्धांतिक मध्यस्थता की उम्मीदों को भी शांत कर दिया कि, "हम अटकलें नहीं लगाएंगे। हम केवल यही कह सकते हैं कि अमेरिका दोनों देशों से बातचीत जारी रखने की अपेक्षा करता है।"