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हवाई सुरक्षा को मिलेगा नया कवच, भारत ने रूस से मांगे ज्यादा S-400 सिस्टम

 13 May 2025

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायु रक्षा प्रणाली की सफलता में जिस तकनीक ने सबसे अहम योगदान दिया, वह था रूस निर्मित S-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम। इस प्रणाली ने न केवल दुश्मन के हवाई हमलों को नाकाम किया, बल्कि भारत को रणनीतिक रूप से एक मजबूत स्थिति में भी पहुंचाया। इसी प्रभावशाली प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने अब रूस से इस प्रणाली की अतिरिक्त यूनिट्स की मांग की है, ताकि देश की वायु रक्षा क्षमताओं को और अधिक व्यापक और मजबूत बनाया जा सके। यह मांग उस समय सामने आई है जब भारत को पश्चिमी सीमा पर संभावित खतरों का लगातार सामना करना पड़ रहा है। भारत द्वारा रूस के साथ 2018 में की गई 5.43 बिलियन डॉलर की डील के तहत पांच S-400 यूनिट्स प्राप्त करने की योजना थी, जिनमें से कुछ पहले ही भारतीय सेना में शामिल हो चुकी हैं। 


रिपोर्टों के अनुसार, नई दिल्ली ने अब मॉस्को से आग्रह किया है कि वह शेष या अतिरिक्त यूनिट्स की डिलीवरी जल्द से जल्द सुनिश्चित करे। यह कदम भारत की दीर्घकालिक सुरक्षा रणनीति का हिस्सा है, जो वायु क्षेत्र की प्रभावी निगरानी और शत्रु की गतिविधियों पर कड़ा नियंत्रण सुनिश्चित करता है। S-400 प्रणाली को दुनिया की सबसे आधुनिक और सक्षम वायु रक्षा प्रणालियों में से एक माना जाता है। यह प्रणाली उच्च गति से आने वाली क्रूज मिसाइलों, बैलिस्टिक मिसाइलों, लड़ाकू विमानों और यहां तक कि ड्रोन जैसे विभिन्न हवाई खतरों को सटीकता से पहचानकर उन्हें नष्ट करने में सक्षम है। इसका रडार तंत्र एक साथ सौ से अधिक लक्ष्यों को ट्रैक करने की क्षमता रखता है और यह विभिन्न प्रकार की मिसाइलों को 400 किलोमीटर तक की दूरी पर लक्ष्य भेदने के लिए लॉन्च कर सकता है। यही कारण है कि इस प्रणाली को एक मल्टी-लेयरड एयर डिफेंस समाधान के रूप में देखा जाता है।

हालिया सैन्य टकराव के दौरान जब पाकिस्तान की ओर से मिसाइलें और ड्रोन भारतीय सीमा की ओर भेजे गए, तब S-400 ने इन खतरों को समय रहते निष्क्रिय कर दिया। इसकी तैनाती के चलते कई दुश्मन योजनाएं ध्वस्त हो गईं। नतीजतन, पाकिस्तान को अपने हमले रोकने या उनका मार्ग बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिससे उसकी सामरिक योजना को गहरा झटका लगा। S-400 की प्रतिक्रिया क्षमता और इसकी सटीकता ने यह सुनिश्चित किया कि किसी भी प्रकार का हवाई हमला भारतीय सीमाओं के भीतर गंभीर नुकसान नहीं पहुंचा सका। इसके अलावा, इस प्रणाली की प्रभावी तैनाती ने भारत की क्षेत्रीय शक्ति संतुलन की स्थिति को और मजबूत किया है। 

इससे न केवल दुश्मन देशों को चेतावनी मिली है, बल्कि भारत की सैन्य प्रतिष्ठा को भी वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त हुई है। यह भी उल्लेखनीय है कि S-400 की उपस्थिति से भारत की प्रतिरोधक क्षमता में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे किसी भी संभावित आक्रमण से पहले ही उसे रोकने की तैयारी की जा सकती है। भारत की इस पहल से यह स्पष्ट होता है कि वह अपनी सीमाओं की सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं करना चाहता। रूस से अतिरिक्त S-400 यूनिट्स की मांग, न केवल तकनीकी मजबूती का संकेत है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत भविष्य के खतरों को देखते हुए दीर्घकालिक सुरक्षा दृष्टिकोण अपना रहा है। इस प्रणाली की सफलता और इसके पीछे की रणनीति आने वाले वर्षों में भारतीय रक्षा नीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन सकती है।