भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव एक बार फिर बढ़ गया है। भारत ने अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमीनियम उत्पादों पर लगाए गए उच्च शुल्क के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन (WTO) के तहत जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिका पर प्रतिशोधात्मक शुल्क (Retaliatory Tariffs) लगाने का प्रस्ताव रखा है। WTO की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि अमेरिका द्वारा लगाए गए सुरक्षा उपायों के कारण भारत से निर्यात किए जाने वाले स्टील और एल्युमीनियम उत्पादों पर कुल 7.6 अरब अमेरिकी डॉलर का असर पड़ा है, जिसमें 1.91 अरब डॉलर शुल्क के रूप में वसूला गया है। भारत अब इन क्षतियों की भरपाई के लिए अमेरिका से आयात होने वाले उत्पादों पर समान मूल्य के शुल्क लगाने की तैयारी कर रहा है। यह कदम WTO के सुरक्षा समझौते के तहत पूरी तरह वैधानिक माना गया है।
भारत ने इससे पहले अप्रैल 2025 में अमेरिका के इस निर्णय के खिलाफ WTO के सुरक्षा समझौते के तहत परामर्श की मांग की थी, जिसमें द्विपक्षीय चर्चा की कोशिश की गई थी। गौरतलब है कि अमेरिका ने 8 मार्च 2018 को राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए स्टील और एल्युमीनियम उत्पादों पर क्रमशः 25% और 10% शुल्क लगाने का ऐलान किया था। यह निर्णय 23 मार्च 2018 से लागू हुआ और इसे जनवरी 2020 में आगे बढ़ा दिया गया था। हाल ही में, 10 फरवरी 2025 को अमेरिका ने एक बार फिर इन सुरक्षा उपायों में संशोधन किया, जिसे 12 मार्च 2025 से अनिश्चितकाल के लिए प्रभावी कर दिया गया है। इस संशोधन के बाद अमेरिका अब इन उत्पादों पर 25 प्रतिशत शुल्क वसूल रहा है, जिससे भारत समेत कई देशों की निर्यात क्षमताएं प्रभावित हो रही हैं।
इस घटनाक्रम का असर भारतीय शेयर बाजार में साफ नजर आ रहा है, खासकर मेटल सेक्टर की कंपनियों पर। मंगलवार को इन कंपनियों के शेयरों में काफी उतार-चढ़ाव देखा गया।
हिंडाल्को इंडस्ट्रीज लिमिटेड के शेयरों में 2% की गिरावट दर्ज की गई और ये 641.95 रुपये पर कारोबार कर रहे हैं। जेएसडब्ल्यू स्टील लिमिटेड के शेयरों में भी हल्की गिरावट देखने को मिली और यह 1,002.10 रुपये पर ट्रेड कर रहा है। हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के शेयर 1% तक की गिरावट के साथ 433.10 रुपये पर आ गए हैं। दूसरी ओर, वेदांता और टाटा स्टील के शेयरों में मामूली बढ़त दर्ज की गई है, जो दर्शाता है कि बाजार इस पर मिली-जुली प्रतिक्रिया दे रहा है। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के शेयरों में भी गिरावट देखी गई और ये 118.03 रुपये पर ट्रेड कर रहे हैं।
इस स्थिति में यह स्पष्ट है कि भारत अब WTO के मंच पर अपनी स्थिति को और मजबूती से पेश कर रहा है और व्यापार संतुलन बनाए रखने के लिए हर संभव उपाय कर रहा है। यह घटनाक्रम न केवल भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों को प्रभावित कर सकता है, बल्कि वैश्विक व्यापार व्यवस्था में भी एक बड़ा संदेश भेजता है कि एकतरफा शुल्क नीतियों के खिलाफ विकासशील देश अब खुलकर विरोध कर रहे हैं।