सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार के एक अधिकारी को उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना करने पर शुक्रवार को पदावनति का आदेश दिया। अदालत ने आदेश दिया कि डिप्टी कलेक्टर को तत्काल तहसीलदार के पद पर नियुक्त किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कड़े शब्दों में कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना कानून के शासन की नींव पर हमला है।
यह मामला आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले से जुड़ा है, जहां उच्च न्यायालय ने झोपड़ियों को न हटाने का आदेश दिया था, लेकिन एक अधिकारी ने इस आदेश की अवहेलना की।
इस पर नाराजगी जताते हुए जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि हर अधिकारी, चाहे वह कितने भी ऊंचे पद पर हो, अदालत के आदेशों का सम्मान करने के लिए बाध्य है। पीठ ने यह भी कहा कि न्यायालय के आदेशों की अवहेलना लोकतंत्र और कानून के शासन के खिलाफ है।
सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखते हुए अधिकारी को डिप्टी कलेक्टर पद से हटाकर तहसीलदार बनाने का आदेश दिया।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय द्वारा आरोपी अधिकारी को दो महीने की सजा सुनाने के आदेश को संशोधित किया और उसे पदावनति की सजा देने का निर्णय लिया। अदालत ने यह सुनिश्चित करने के लिए भी आदेश दिया कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी उच्च क्यों न हो, कानून से ऊपर नहीं हो सकता।
अधिकारी पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।
न्यायमूर्ति गवई ने कहा, "हम चाहते हैं कि यह संदेश पूरे देश में जाए कि अदालत के आदेशों की अवमानना को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।" यह निर्णय उस अधिकारी के खिलाफ था, जिसने उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
इस फैसले ने स्पष्ट संदेश दिया है कि न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन किसी भी परिस्थिति में स्वीकार्य नहीं होगा, और कानून का पालन करने में किसी को भी विशेषाधिकार नहीं दिया जा सकता।