इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने सोमवार को कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के खिलाफ कथित दोहरी नागरिकता के आरोपों पर दायर जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया। यह याचिका कर्नाटक के एक भाजपा कार्यकर्ता एस. विग्नेश शिशिर की ओर से दायर की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि राहुल गांधी भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) दोनों के नागरिक हैं। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि यह स्थिति भारतीय संविधान के अनुच्छेद 84 (ए) का उल्लंघन है, जिसके अनुसार भारत का नागरिक ही संसद का सदस्य बनने के योग्य होता है।
न्यायालय ने केंद्र से मांगी थी स्थिति रिपोर्ट
सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार श्रीवास्तव की पीठ ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह अब तक इस मामले में उठाए गए कदमों और जांच की स्थिति का स्पष्ट ब्योरा अदालत के समक्ष प्रस्तुत करे। केंद्र की ओर से जब जवाब दाखिल किया गया, तब अदालत ने उसे स्वीकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया। गौरतलब है कि पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने गृह मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट पर असंतोष जताया था, क्योंकि उसमें राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर सीधा और स्पष्ट उत्तर नहीं दिया गया था। अदालत ने यह स्पष्ट किया था कि वह केवल दस्तावेज़ी भ्रम पर कोई निष्कर्ष नहीं निकाल सकती जब तक कि केंद्र सरकार अपनी स्थिति स्पष्ट न करे।
यह विवाद पहली बार 2019 में उस समय सामने आया था जब भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल उठाए थे। उन्होंने दावा किया था कि लंदन में स्थित एक कंपनी BackOps Limited में राहुल गांधी निदेशक और सचिव के तौर पर पंजीकृत थे और कंपनी के दस्तावेज़ों में उन्होंने अपनी नागरिकता "ब्रिटिश" बताई थी।
स्वामी के अनुसार, कंपनी के 2005 और 2006 के वार्षिक रिटर्न में राहुल गांधी की जन्मतिथि 19 जून 1970 और राष्ट्रीयता ब्रिटिश अंकित थी। यही नहीं, कंपनी को 17 फरवरी 2009 को भंग करते समय दाखिल किए गए दस्तावेज़ों में भी यही जानकारी दर्ज थी।
इसी शिकायत के आधार पर गृह मंत्रालय ने राहुल गांधी को 2019 में कारण बताओ नोटिस जारी किया था और उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया था कि क्या वे भारत की नागरिकता बनाए रखे हुए हैं या नहीं। हालांकि, गृह मंत्रालय की रिपोर्ट और उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया, यह कहते हुए कि इसमें नागरिकता के बारे में कोई ठोस प्रमाण नहीं दिया गया है, जो कि राहुल गांधी की योग्यता को सीधे तौर पर चुनौती दे सके।