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वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली, 15 मई की तारीख निर्धारित

 05 May 2025

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2024 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई को टालते हुए अगली तारीख 15 मई निर्धारित की है। सोमवार (5 मई) को CJI संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह फैसला लिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि चूंकि न्यायमूर्ति बी. आर. गवई शीघ्र ही सेवानिवृत्त होने वाले हैं, इसलिए मामला उनके समक्ष सूचीबद्ध किया जाएगा सीजेआई खन्ना ने सुनवाई के दौरान कहा, “मैंने केंद्र सरकार और याचिकाकर्ताओं के हलफनामे विस्तार से नहीं पढ़े हैं, और इस चरण में कोई भी अंतरिम आदेश सुरक्षित नहीं रखना चाहता। चूंकि मामले की शीघ्र सुनवाई आवश्यक है, इसलिए इसे जस्टिस गवई की पीठ को सौंपा जाना उपयुक्त होगा।” इस पर याचिकाकर्ता पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ताओं कपिल सिब्बल, ए. एम. सिंघवी और केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सहमति जताई।


कोर्ट की पिछली सुनवाई और चिंताएं

16 और 17 अप्रैल को हुई पिछली सुनवाइयों के दौरान अदालत ने केंद्र से कुछ विवादास्पद प्रावधानों पर स्पष्टीकरण मांगा था। इसमें 'उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ' (User-Based Waqf) के प्रावधान को हटाए जाने को लेकर विशेष चिंता जताई गई थी। कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि ऐतिहासिक मस्जिदें, दरगाहें और अन्य धार्मिक स्थल प्राचीन काल से उपयोगकर्ता वक्फ के अंतर्गत रहे हैं, जिनका पंजीकरण नहीं है, और ऐसे स्थलों के लिए दस्तावेज़ी प्रमाण जुटा पाना व्यावहारिक रूप से असंभव है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि यह प्रावधान भविष्य के लिए लागू होगा और मौजूदा वक्फ संपत्तियों पर इसका असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोई संपत्ति पहले से पंजीकृत है, तो वह वक्फ मानी जाएगी।

एक अन्य अहम मुद्दा केंद्रीय व राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने को लेकर उठाया गया। सीजेआई खन्ना ने सवाल किया, “यदि मुस्लिम वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्य शामिल हो सकते हैं, तो क्या हिंदू धार्मिक ट्रस्टों में मुस्लिमों को भी शामिल किया जाएगा?” अदालत ने इस मुद्दे पर असहमति जताते हुए यह संकेत दिया कि इन बोर्डों और परिषदों में केवल मुस्लिम सदस्य ही हों, सिवाय उन पदेन सदस्यों के जो स्वाभाविक रूप से नामित होते हैं।

सुनवाई के दौरान केंद्र ने अदालत को आश्वासन दिया था कि तब तक कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी और मौजूदा वक्फ संपत्तियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। अदालत ने इस बयान को रिकॉर्ड पर लेते हुए यह स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई 15 मई को जस्टिस बी. आर. गवई की अध्यक्षता में होगी। तब तक कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया जाएगा।