बिल गेट्स, जिनका नाम दशकों से दुनिया के सबसे अमीर और प्रभावशाली व्यक्तियों की सूची में शुमार रहा है, हाल ही में एक व्यक्तिगत और संवेदनशील विषय को लेकर चर्चा में आए हैं। 10 हजार करोड़ डॉलर से अधिक की संपत्ति के मालिक और माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स को लेकर उनकी बेटी फोबे गेट्स ने खुलासा किया है कि वे एस्परगर सिंड्रोम से पीड़ित हैं। यह खुलासा उन्होंने एक पॉडकास्ट ‘कॉल हर डैडी’ में किया, जिसमें उन्होंने अपने पिता की सामाजिक आदतों और व्यवहार के बारे में विस्तार से बात की।
22 वर्षीय फोबे गेट्स, जो बिल और मेलिंडा गेट्स की सबसे छोटी संतान हैं, ने इस बातचीत के दौरान बताया कि उनके पिता सामाजिक रूप से काफी अलग और कभी-कभी ‘अजीब’ व्यवहार करते हैं। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने अपने बॉयफ्रेंड को पहली बार बिल गेट्स से मिलवाया, तो वह स्थिति उस लड़के के लिए कुछ डरावनी थी, लेकिन उन्हें यह अनुभव मजेदार लगा क्योंकि उन्हें पहले से पता था कि उनके पिता की सामाजिक समझ थोड़ी अलग है। फोबे ने कहा, "मेरे पिता ने खुद कहा है कि उन्हें एस्परगर सिंड्रोम है, और यह बात उनके व्यवहार में भी झलकती है।"
यह पहला मौका नहीं है जब बिल गेट्स ने अपने व्यवहार में अंतर की बात स्वीकारी हो। फरवरी 2025 में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान भी उन्होंने संकेत दिए थे कि वे बचपन से ही खुद को दूसरों से थोड़ा अलग महसूस करते थे। उन्होंने बताया था कि जब वे छोटे थे, तो उनके माता-पिता उन्हें एक विशेषज्ञ डॉक्टर के पास ले गए थे, जिन्होंने साल भर तक उन्हें समझाया कि उनकी मानसिक स्थिति कोई कमजोरी नहीं, बल्कि एक ताकत हो सकती है। हालांकि बिल गेट्स ने कभी एस्परगर सिंड्रोम का औपचारिक निदान या इलाज नहीं करवाया, लेकिन वे मानते हैं कि अगर वे आज के जमाने में किशोर होते, तो उनका इलाज जरूर शुरू कर दिया जाता।
एस्परगर सिंड्रोम, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) का एक रूप है और यह न्यूरोडेवलपमेंटल विकार व्यक्ति की सामाजिक समझ, संप्रेषण क्षमता और व्यवहार के ढंग को प्रभावित करता है। इस स्थिति में प्रभावित व्यक्ति को सामाजिक संकेत समझने, दूसरों की भावनाएं पहचानने और प्रभावी संवाद स्थापित करने में परेशानी हो सकती है। ऐसे लोग अक्सर सीमित लेकिन गहरी रुचियों में डूबे रहते हैं, और उनकी सोच और दिनचर्या में एकरूपता होती है। कुछ मामलों में, वे दोहराव वाले व्यवहार या प्रतिक्रियाएं भी दिखा सकते हैं।
हालांकि यह स्थिति चुनौतियों से भरी हो सकती है, लेकिन एस्परगर सिंड्रोम से ग्रस्त व्यक्तियों में कई बार असाधारण प्रतिभाएं और क्षमताएं देखने को मिलती हैं। वे किसी विशेष क्षेत्र, जैसे गणित, विज्ञान, कंप्यूटर प्रोग्रामिंग, संगीत या भाषा में गहन रुचि और दक्षता रखते हैं।
इसीलिए कई विशेषज्ञ इसे "हाई फंक्शनिंग ऑटिज्म" के रूप में भी वर्गीकृत करते हैं, जहां व्यक्ति की मानसिक क्षमता औसत या उससे ऊपर होती है।
2015 में प्रकाशित एक वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की कुल आबादी का लगभग 0.5 प्रतिशत हिस्सा यानी करीब 3.72 करोड़ लोग एस्परगर सिंड्रोम से प्रभावित हो सकते हैं। यह भी पाया गया है कि यह स्थिति लड़कियों की तुलना में लड़कों में तीन से चार गुना अधिक आम है। हर 1,000 बच्चों में से 2 से 6 बच्चे इस सिंड्रोम से प्रभावित हो सकते हैं। विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि इस विकार के लक्षण समय के साथ अधिक स्पष्ट हो सकते हैं, और अगर समय रहते समझदारी से इसका प्रबंधन किया जाए, तो इससे पीड़ित व्यक्ति एक पूर्ण, सफल और संतुलित जीवन जी सकते हैं।
एस्परगर सिंड्रोम को अक्सर गलतफहमी का शिकार होना पड़ता है, क्योंकि इसके लक्षण सूक्ष्म हो सकते हैं और कई बार समाज इन्हें "अजीब" व्यवहार के रूप में देखता है।