बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती के भतीजे और पार्टी के युवा चेहरे आकाश आनंद एक बार फिर सक्रिय राजनीति में लौट आए हैं। करीब दो महीने के अंतराल के बाद उन्होंने एक बार फिर राजनीतिक मसलों पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उनकी यह वापसी खासतौर पर तब देखने को मिल रही है जब पार्टी में उन्हें दोबारा से महत्व दिए जाने की चर्चा तेज है। आकाश आनंद ने समाजवादी पार्टी (सपा) के एक विवादित पोस्टर को लेकर सीधे सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि सपा नेताओं ने भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की तस्वीर के साथ जानबूझकर छेड़छाड़ की है, जिसे वह माफ करने लायक अपराध नहीं मानते।
एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर आकाश आनंद ने लिखा कि सपा की तरफ से अब तक इस छेड़छाड़ के लिए माफी नहीं मांगी गई, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह केवल किसी कार्यकर्ता की गलती नहीं, बल्कि एक सोची-समझी राजनीतिक साजिश थी, जिसमें खुद अखिलेश यादव की भूमिका है। आकाश आनंद ने यह भी कहा कि समाजवादी पार्टी की नीतियां शुरू से ही दलित विरोधी रही हैं और समय-समय पर उनके नेताओं के व्यवहार से यह बात बार-बार साबित होती रही है। उन्होंने दलित समाज और बसपा समर्थकों से सपा की मंशा को पहचानने और उससे सावधान रहने की अपील की।
आकाश आनंद की यह राजनीतिक सक्रियता ऐसे समय में आई है जब मायावती ने हाल ही में सार्वजनिक रूप से पार्टी नेताओं को निर्देश दिया था कि वे आकाश आनंद का मनोबल बढ़ाएं। मायावती ने यह भी कहा था कि पार्टी में किसी को बाहर करना और दोबारा शामिल करना एक संगठनात्मक प्रक्रिया है, जिसे लेकर अनावश्यक विवाद नहीं होना चाहिए। उनके इन बयानों के बाद यह संकेत मिल रहा है कि बसपा नेतृत्व आकाश आनंद को दोबारा बड़ी जिम्मेदारी सौंप सकता है।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव 2019 से पहले मायावती ने आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी तक घोषित कर दिया था। वे बसपा के स्टार प्रचारक के रूप में उभरे थे और दिल्ली विधानसभा चुनाव में उन्होंने पार्टी के प्रचार की कमान अकेले संभाली थी। हालांकि, बाद में परिस्थितियां बदलीं और उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया। कुछ समय पहले उन्होंने पार्टी में दोबारा शामिल होने के लिए माफी मांगी थी, जिसे मायावती ने स्वीकार कर लिया।
अब जब मायावती ने खुद आगे आकर आकाश आनंद के पक्ष में बयान दिए हैं और उन्होंने खुद को फिर से सक्रिय दिखाना शुरू कर दिया है, तो यह साफ संकेत है कि बसपा आंतरिक संगठन को फिर से सशक्त करने और आगामी चुनावों के लिए रणनीति को धार देने की दिशा में काम कर रही है। आकाश आनंद की सक्रियता और उनके बयान न सिर्फ दलित राजनीति को नया मोड़ दे सकते हैं, बल्कि समाजवादी पार्टी के साथ दलित वोट बैंक को लेकर सीधी टकराव की भूमिका भी तैयार कर सकते हैं।